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26 November 2020
राज्य सरकार ने कृषि उपज मंडी शुल्क 50 पैसे किया
भोपाल: सीएम शिवराज सिंह का फैसला, मप्र में अब मंडी शुल्क 50 पैसे होगा, फिलहाल तीन महीने छूट मिलेगी. राज्य में कृषि उपज मंडियों में व्यापारियों से लिए जाने वाले मंडी शुल्क की राशि अभी 1.50 रु. थी. मध्य प्रदेश में मंडी शुल्क को लेकर असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है. यहां राज्य सरकार के खिलाफ व्यापारियों में गुस्सा देखने को मिल रहा है. क्योंकि सरकार की और से अभी तक आदेश जारी नहीं हुआ है. राज्य में यह नया शुल्क 14 नवंबर से लागू किया जाना था.
शिवराज सरकार ने मंडी शुल्क घटाने का अभी ऐलान किया है. मंडी शुल्क अब भी पुरानी दर से ही वसूला जा रहा है, क्योंकि घटी हुई दर का आदेश जारी नहीं हुआ.
गत वर्ष मंडियों को 12 सौ करोड़ रुपए की आय हुई थी. मंडी बोर्ड में लगभग 4200 तथा मंडी समिति सेवा में लगभग 29 सौ अधिकारी-कर्मचारी कार्यरत हैं तथा लगभग 2970 सेवानिवृत्त अधिकारी-कर्मचारी हैं. इनके वेतन भत्तों पर गत वर्ष 677 करोड रुपए का व्यय हुआ था. यदि मंडियों को प्राप्त आय से मंडियों के संचालन, उनके रखरखाव एवं कर्मचारियों के वेतन भत्तों की व्यवस्था सुनिश्चित करने में कठिनाई नहीं होती है, तो राज्य शासन द्वारा इस छूट को आगे भी जारी रखा जा सकता है.
किसानों के द्वारा उत्पादित फसल, सब्जी, फल–फूल तथा अन्य प्रकार के उत्पाद को बेचने के लिए सभी राज्यों में मंडी शुल्क लिया जाता है. मंडी शुल्क से होने वाली आय के बदले में वहां विभिन्न व्यवस्थाएं जैसे पानी शौचालय, रुकने की व्यवस्था, गाड़ी पार्किंग की व्यवस्था शासन की तरफ से ही की जाती है.
मध्य प्रदेश सरकार सब्जियों का समर्थन मूल्य तय करने की दिशा में भी लगातार आगे बढ़ रही है. करीब 12 सब्जियां इसके दायरे में आएंगी. यदि समर्थन मूल्य से कम पर किसान की सब्जी बिकती है तो उसके नुकसान की भरपाई राज्य सरकार करेगी. मुहर लगने के बाद भिंडी, लौकी और गोभी समेत करीब एक दर्जन सब्जियां न्यूनतम समर्थन मूल्य के दायरे में आ जाएंगी.