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02 September 2020

सुप्रीम कोर्ट जस्टिस अरुण कुमार मिश्रा हुए रिटायर्ड

जस्टिस अरुण मिश्रा रिटायर्ड

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण कुमार मिश्रा रिटायर्ड हुए. जस्टिस मिश्रा छह साल से अधिक समय तक सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश रहे बुधवार को सेवानिवृत्त हो गए. आखिरी दिनों में कई अहम फैसले दिए. मिश्रा के फेयरवेल में बोलने से वंचित SC बार प्रेसिडेंट बोले-अब किसी कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेंगे. उन्हें प्रधान न्यायाधीश की समारोह पीठ मे अपराह्न साढ़े बारह बजे शामिल होने के लिए एससीआई-वीसी की टीम से सवेरे 10.06 बजे लिंक मिला जो संबंधित रजिस्ट्रार ने व्हाट्सऐप पर भेजा था. चीफ जस्टिस के बोलने के बाद न्यायमूर्ति मिश्रा को बोलने के लिये आमंत्रित किया गया.

वरिष्ठ अधिवक्ता और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने चीफ जस्टिस एस.ए. बोबडे(Chief Justice SA Bobde) को एक पत्र लिखा. पत्र में घोर निराशा जताते हुए और निंदा करते हुए लिखा है कि वह एसोसिएशन के अध्यक्ष रहते हुए अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा आयोजित किसी भी कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेंगे. बार प्रेसिडेंट दवे का कार्यकाल इस साल दिसंबर तक है.

जस्टिस मिश्रा सात जुलाई, 2014 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने. शीर्ष अदालत की वेबसाइट के अनुसार मध्य प्रदेश, राजस्थान और कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में उन्होंने करीब 97,000 मुकदमों का फैसला किया और दूरगामी असर वाले कई निर्णय सुनाए.

नॉट लाइक दिस... अब यह शब्द सुप्रीम कोर्ट में बमुश्किल सुनाई देगा. जस्टिस अरुण मिश्रा के ये चंद शब्द सुप्रीम कोर्ट के वकीलों को संयमित और शिष्टाचार में रहने को मजबूर करते थे. जस्टिस मिश्रा की कोर्ट में एक वकील के लिए जितना अहम कानूनी ज्ञान होता था, उतना ही उनके लिए शिष्टाचार में रहना भी महत्वपूर्ण था.

जस्टिस अरूण मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में, कथित रिश्वत देने से संबंधित सहारा-बिड़ला डायरी के आधार पर बड़ी हस्तियों के खिलाफ आरोपों की विशेष जांच दल से जांच की मांग ठुकराने से लेकर कार्यकर्ता अधिवक्ता प्रशांत भूषण को अवमानना का दोषी ठहराने के बाद सजा के रूप में उन पर एक रूपए का सांकेतिक जुर्माना करने सहित अनेक महत्वपूर्ण फैसले लिए. न्यायमूर्ति मिश्रा एक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रशंसा करने के कारण विवादों में भी रहे. एक अन्य विवाद विशेष न्यायाधीश बी एच लोया की हत्या के मामले की निष्पक्ष जांच के लिए दायर याचिका का न्यायमूर्ति मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध होने से संबंधित था.

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