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13 December 2021
पीएम मोदी द्वारा काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन
वाराणसी: पीएम मोदी ने काशी विश्वनाथ गलियारे का लोकार्पण किया. पहले चरण का उद्घाटन किया. आम लोगों को समर्पित किया. काशी विश्वनाथ भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी श्रीकांत मिश्रा ने गर्भगृह के अंदर पीएम मोदी से पूजा कराई.
दशाश्वमेध समेत 84 घाट दीपों से जगमगाए. पीएम मोदी ने क्रूज की सवारी की लेजर लाइट शो देखा. गंगा आरती में शामिल हुए. काल भैरव मंदिर में पूजा अर्चना की और गंगा नदी में डुबकी लगाई. पवित्र गंगाजल लेकर भगवान शिव का जलाभिषेक किया. इस परियोजना में कार्य करने वाले मजदूरों पर उनके कार्य के लिए आभार व्यक्त करने के लिए गुलाब की पंखुड़िया बरसाई. उनके साथ खाना खाया. वाराणसी में संत रविदास के दर्शन कर उनकी पूजा-अर्चना भी की.
काशी विश्वनाथ धाम परियोजना करीब 5 लाख वर्ग फीट में फैली हुई है और गंगा नदी को काशी विश्वनाथ मंदिर से जोड़ती है. इस मौके पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और देशभर से आए साधु संत भी मौजूद थे.
पीएम मोदी ने उद्घाटन कार्यक्रम के बाद कहा, 'काशी विश्वनाथ धाम के उद्घाटन से भारत को निर्णायक दिशा मिलेगी, उज्ज्वल भविष्य का सूत्रपात होगा. आतातायियों ने वाराणसी पर आक्रमण किए, इसे ध्वस्त करने के प्रयास किए. यहां अगर औरंगजेब आता है तो शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं.'
काशी अहिंसा, तप की प्रतिमूर्ति चार जैन तीर्थंकरों की धरती है. राजा हरिश्चंद्र की सत्यनिष्ठा से लेकर वल्लभाचार्य, रमानन्द जी के ज्ञान तक, चैतन्य महाप्रभु, समर्थगुरु रामदास से लेकर स्वामी विवेकानंद,मदनमोहन मालवीय तक, कितने ही ऋषियों,आचार्यों का संबंध काशी की पवित्र धरती से रहा है. छत्रपति शिवाजी महाराज के चरण यहां पड़े थे. रानी लक्ष्मीबाई से लेकर चंद्रशेखर आज़ाद तक, कितने ही सेनानियों की कर्मभूमि-जन्मभूमि काशी रही है. भारतेन्दु हरिश्चंद्र, जयशंकर प्रसाद, मुंशी प्रेमचंद, पंडित रविशंकर और बिस्मिल्लाह खान जैसी प्रतिभाएं थी यहाँ. कबीरदास जैसे मनीषी यहां प्रकट हुए. यहां औरंगजेब आता है तो शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं. काशी में प्रवेश करते ही लोग सारे बंधनों से मुक्त हो जाते हैं.