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05 February 2021
किसान संगठनो का कल राष्ट्रव्यापी चक्का जाम का ऐलान
नई दिल्ली: किसान संगठनों ने छह फरवरी शनिवार को राष्ट्रव्यापी चक्का जाम का ऐलान किया. कांग्रेस पार्टी ने किसानों के चक्का जाम का समर्थन किया. इसको लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं. तीन राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और दिल्ली में चक्का जाम नहीं होंगा. किसान कल 3 घंटे तक चक्का जाम करेंगे. देश भर में राष्ट्रीय और राज्य मार्गों को दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक जाम किया जाएगा. इस दौरान इमरजेंसी और आवश्यक सेवाओं जैसे एम्बुलेंस, स्कूल बस आदि को नहीं रोका जाएगा. किसान शातिपूर्ण जिलाधिकारी को ज्ञापन सौपेंगे.
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि जो लोग यहां नहीं आ पाए वो अपने-अपने जगहों पर कल शांतिपूर्ण तरीके से चक्का जाम करेंगे. राकेश टिकैत ने जनहित को देखते हुए हिंसा की आशंका के चलते उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश को कल होने वाले चक्का जाम से अलग रखा है. दिल्ली पुलिस ने किसानों के प्रस्तावित 'चक्का जाम' से पहले प्रदर्शन स्थलों के पास दिल्ली के विभिन्न बार्डर पर सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी कर दी गई है. दिल्ली के टीकरी बॉर्डर(Tikri Border) पर काफी तादाद में दिल्ली पुलिस और पैरा मिलिट्री फोर्स के जवानों को लगाया गया है.
किसानों के चक्काजाम को लेकर गृहमंत्री अमित शाह का सिंधुदुर्ग दौरा टल गया है. अब वे रविवार को वहां जायेंगे. लोकसभा में पहला हफ्ता कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ विपक्ष के हंगामे के नाम रहा. लगातार चौथे दिन विपक्ष के हंगामे के कारण सदन का कामकाज ठप्प हुआ. लोकसभा में जारी गतिरोध का रास्ता निकालने के साथ सरकार की रणनीति तय करने को लेकर शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद भवन के अपने कार्यालय में बैठक की. इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर और संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी आदि शामिल थे.
नए कृषि कानूनों के खिलाफ करीब ढाई माह से किसान आंदोलन कर रहे है. वहीं, किसी अनहोनी से बचने के लिए प्रशासन भी तैयारी में जुटा हुआ है. 26 जनवरी को देश की राजधानी दिल्ली में हुई हिंसा को देखते हुए पुलिस ने एहतियातन यहां आस-पास बैरिकेटिंग की हुई है, जिस पर कटीली तारें बांधी गई हैं, जिससे कि कोई भी प्रदर्शनकारी किसी भी तरह से दिल्ली में एंट्री ना कर सके. कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स(कैट) के अनुसार इस आंदोलन से व्यापार में कुल मिलाकर आवक-जावक के रूप में लगभग 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार प्रभावित हुआ है. जिसमें अन्य राज्यों से दिल्ली में आने वाले माल से लगभग 70 लाख रुपये का नुकसान हुआ है और दिल्ली से अन्य राज्यों को भेजे जाने वाले व्यापार में लगभग 40 हजार करोड़ रुपये के व्यापार का नुकसान हुआ है.