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05 September 2021
कृषि कानून विरोध, किसान संयुक्त मोर्चा की महापंचायत
मुजफ्फरनगर: केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में किसान महापंचायत का आयोजन हुआ. देशभर से सैकड़ों किसानों का सैलाब इसमें हिस्सा लेने पहुंचा. भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने किसान महापंचायत को संबोधित किया. किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि यूपी पुलिस मुजफ्फरनगर की ओर जानें से बसों को रोक रही है. मुजफ्फरनगर के जीआईसी मैदान में महापंचायत हुई. 27 सितंबर को भारत बंद की घोषणा की गई. देश की जनता से बंद को सफल बनाने में सहयोग करने का आह्वान किया.
महापंचायत में देशभर के 300 से ज्यादा सक्रिय संगठन शामिल हुए हैं. पंचायत मंच पर कई बड़े किसान नेता मौजूद रहे जो पिछले 10 महीनों से किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं. किसानों की भीड़ से पटा रहा मैदान. जमीन के साथ दीवारों पर भी लोग खड़े रहे.
प्रशासन ने महापंचायत को लेकर यहां कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की. मंच से लेकर पार्किंग तक की व्यवस्था एसकेएम और बीकेयू के वालंटियर देख रहे हैं. पहचान के लिए वालंटियर्स को आईडी कार्ड दिए गए हैं.
किसानों की महापंचायत को कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा का भी सपोर्ट मिला. कहा, 'किसान इस देश की आवाज हैं. किसान देश का गौरव हैं. किसानों की हुंकार के सामने किसी भी सत्ता का अहंकार नहीं चलता. खेती-किसानी को बचाने और अपनी मेहनत का हक मांगने की लड़ाई में पूरा देश किसानों के साथ है'.
बीजेपी नेता वरुण गांधी ने महापंचायत का एक वीडियो ट्विटर पर शेयर करते हुए कहा, 'आज लाखों किसान धरना प्रदर्शन में जुटे हैं...वे हमारे अपने लोग हैं. हमें उनके साथ सम्मानजनक तरीके से फिर से बात करने की ज़रूरत है. उनके दर्द और मुद्दे समझने की ज़रूरत है.' साथ ही बीजेपी के ही सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने भी किसानों का समर्थन किया है.
केंद्र के 3 विवादास्पद कृषि कानूनों के विरोध में विभिन्न राज्यों के किसान मुजफ्फरनगर के राजकीय इंटर कॉलेज मैदान में महापंचायत के लिए एकत्र हुए थे. आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को देखते हुए इस आयोजन को महत्वपूर्ण माना जा रहा है. उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र, कर्नाटक जैसे विभिन्न राज्यों में फैले 300 किसान संगठनों के किसान कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे हैं. जहां 5,000 से अधिक लंगर(भोजन स्टाल) लगाए गए हैं. आयोजन स्थल के आसपास कई चिकित्सा शिविर भी लगाए गए हैं.
किसान महापंचायत में टिकैत ने कहा, हम संकल्प लेते हैं कि हम धरना स्थल को दिल्ली की सीमाओं पर नहीं छोड़ेंगे, भले ही हमारा कब्रिस्तान वहां बन जाए. जरूरत पड़ी तो हम अपनी जान भी दे देंगे. तीनों कानूनों के खिलाफ आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक कि केंद्र सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं करती. केंद्र ने देश की जनता के साथ धोखा किया है. क्या उन्होंने अपने मेनिफेस्टो में ये बातें कही थी कि वो बिजली-पानी-सड़क-रेल बेच देंगे. ये देश की संपत्ति है. इसे निजी हाथों में देने वाली सरकार कौन होती है. लाल किले पर नहीं, किसान अगर जाता तो संसद जाता जहां क़ानून बने हैं. लाल किले पर धोखे से लेकर गए हैं आप हमको. हमारे लोग नहीं गए, धोखे से लेकर आप लोग गए हैं.
आगामी 10 और 11 सितंबर को लखनऊ में तमाम किसान संगठन के पदाधिकारियों की एक अहम बैठक होगी, जिसमें प्रदेश स्तर और जिला स्तर पर संयुक्त मोर्चा बनाए जाने पर मुहर लगाई जाएगी. इलके अलावा संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से ऐलान कर दिया गया है कि तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन के तहत 27 सितंबर को भारत बंद किया जाएगा.