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25 August 2022 Updated: Aug. 26

हैदराबाद की टीम ने, तालाब में डूबे क्रूज को बाहर निकाला

भोपाल क्रूज बाहर निकाला

भोपाल: कड़ी मशक्कत के बाद बड़े तालाब में फंसे क्रूज को बाहर निकाला गया. विशाखापट्टनम से लाए सैल्वेजिंग बैलून के सहारे क्रूज को बाहर निकाला. हैदराबाद और कोच्चि से इंजीनियरों की टीम आई थी. शुक्रवार दोपहर करीब 01 बजे क्रूज को पानी से बाहर निकालने में मिली सफलता. 16 टन वजनी लेक प्रिंसेस को पानी से सुरक्षित बाहर निकालने के लिए विशाखापट्टनम से सैल्वेजिंग बैलून मंगवाए गए थे. संभवत: 1 सप्ताह में क्रूज फिर से सैलानियों को बड़े तालाब की सैर कराता नजर आएगा.

तेज बरसात और ऊंची लहरों से क्षतिग्रस्त होने के बाद बड़े तालाब में डूबे क्रूज 'लेक प्रिंसेस' को बाहर निकालने में आखिरकार सफलता मिल गई. एक बैलून लगाकर क्रूज के एक हिस्से को पानी से ऊपर उठाया गया. फिर इसके दूसरे हिस्से में भी सैल्वेजिंग बैलून लगाकर क्रूज को पानी से बाहर निकाल लिया गया. क्रूज को पानी से बाहर निकालने के बाद टीम ने भीतर-बाहर से इसका मुआयना कर नुकसान का आकलन किया.

मरीन इंजीनियर और बोट बिल्डर्स के संचालक मो. फजल ने बताया कि क्रूज के पिछले हिस्से का कांच टूटने की वजह से इसमें पानी भर गया था. वजन बढ़ने से यह बड़े तालाब में ढूब गया. हालांकि क्रूज के मुख्य उपकरण क्षतिग्रस्त नहीं हुए हैं. पहले पानी के अंदर स्कूबा डाइविंग कर क्रूज की जांच की थी.

पानी में डूबे किसी क्रूज, बोट, शिप और अन्य वजनी उपकरण को बाहर निकालने के लिए सैल्वेजिंग बैलून की मदद ली जाती है. इसके तहत क्रूज के निचले हिस्से में बड़े-बड़े बैलून बांधे जाते हैं. इसके बाद इनमें प्रेशर पंप से हवा भरी जाती है. इसके दबाब से क्रूज पानी से ऊपर उठने लगता है. इस तकनीक का इस्तेमाल करने से क्रूज के अन्य उपकरणों के क्षतिग्रस्त होने का खतरा नहीं रहता है. यह पानी से किसी वजनी वस्तु को निकालने की सुरक्षित प्रणाली है. इसका उपयोग अधिकतर समुद्रों में डूबे हुए बड़े जहाजों को निकालने में किया जाता है.

लेक प्रिंसेस को पर्यटन विभाग ने 10 साल पहले खरीदा था. इसके खरीदने में 70 लाख रुपये खर्च किए गए थे. यह क्रूज दो मंजिल का है. पहली मंजिल सामान्य श्रेणी की है, इसमें 50 लोगों के बैठने की व्यवस्था है. वहीं क्रूज के निचले हिस्से में एसी रुम है. इसमें 20 से 30 लोगों के बैठने की व्यवस्था है.

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