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28 June 2022
पाकिस्तान से लौटी गीता को 7 साल बाद मिला परिवार
भोपाल: पाकिस्तान से भारत वापस लौटी गीता को आखिरकार उसका परिवार मिल गया. मूक-बधिर गीता गलती से पाकिस्तान पहुँच गई थी. इस दौरान पाकिस्तान की ईदी फाउंडेशन ने उसकी परवरिश की. इसके बाद भारत सरकार से संपर्क कर गीता को भारत के हवाले किया गया था. ये तलाश 7 साल चली और आखिरकार महाराष्ट में उसका परिवार मिल गया. गीता महाराष्ट्र के परभड़ी की रहने वाली है. गीता का असली नाम राधा वाघमारे हैं.
गीता को साल 2015 में पाकिस्तान से लौटने के बाद से ही परिवार की तलाश थी. पूर्व विदेश मंत्री स्व. सुषमा स्वराज ने गीता को पाकिस्तान से वापस भारत लाने में काफी मदद की थी और उसकी पूरी देखभाल की जिम्मेदारी भी ली थी. इसके अलावा उसके परिवार की खोज करके सही सलामत पहुंचाने की भी जिम्मेदारी उठाई थी, लेकिन अचानक उनका निधन हो गया था. इसके बावजूद शासन-प्रशासन लगातार गीता के परिवार को खोजने में लगा हुआ था और ये खोज पूरी हुई. पुलिस की मदद से गीता के परिवार को मध्यप्रदेश के अलावा कई दूसरे राज्यों में भी तलाश किया गया.
मंगलवार को भोपाल जीआरपी ने गीता, उसकी मां और बड़ी बहन को लेकर एक प्रेस कांन्फ्रेंस की. इस दौरान गीता के बारे में पूरी जानकारी दी गई. इस दौरान गीता ने मीडिया, पुलिस और प्रशासन का आभार जताया. इसके अलावा उसने पाकिस्तान में अपने अनुभव के बारे में भी बताया. गीता अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद उनसे मिलकर करना चाहती है. साथ ही मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी मिलकर मध्य प्रदेश जीआरपी पुलिस की प्रशंसा करना चाहती है. जीआरपी पुलिस ने जो मेहनत की है, वाकई में वो काबिले तारीफ है.
अपनी लैंग्वेज में गीता ने बताया कि मैं बचपन से पढ़ी नहीं, पहले मैं पाकिस्तान के कराची में रही फिर में लाहौर आई. मुझे इंडिया पसन्द हैं. मैं गलती से पाकिस्तान चली गई थी. आगे चलकर मैं मूक बधिरों की टीचर बनाना चाहती हूं. उसने कराची में जिद करके मंदिर बनवाया था.
गीता की मां मीना पंडारे ने कहा कि 1999 में 8 साल की उम्र में राधा घर से निकलकर भटकते हुए नजदीक स्थित स्टेशन पहुंची और सचखंड एक्सप्रेस में बैठकर अमृतसर पहुंच गई. वहां वह स्टेशन पर भारत और पाकिस्तान के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस में बैठ गई. इस तरह गलती से वह पाकिस्तान पहुंच गई.
भारत आने के बाद गीता मध्यप्रदेश के इंदौर में मूक-बधिरों की मदद करने वाली संस्था आनंद में रह रही थी. संस्था के संचालक ज्ञानेन्द्र पुरोहित ने कई स्तर पर परिवार तलाशने की कोशिश की. गीता से बातचीत के दौरान उन्हें पता चला कि उसके घर के पास रेलवे स्टेशन के साथ-साथ अस्पताल भी है. तब रेलवे के मिसिंग चाइल्ड नेटवर्क की मदद से ऐसे शहर तलाशे गए जहां रेलवे स्टेशन और अस्पताल नजदीक हों तब महाराष्ट्र का परभणी चिन्हित हुआ.
इसके बाद महाराष्ट्र की पहल संस्था के अशोक कुलकर्णी ने भी तलाश शुरू की. इस बीच परभणी की बस्तियों में ऐसे गायब बच्चों को तलाशा गया. तब एक परिवार ने अपने रिश्तेदार की मूक बधिर बेटी राधा के गुमशुदा होने की सूचना दी. फिर मां मीना ने बताया कि राधा उर्फ गीता के पेट पर जन्म से एक निशान है. इसका मिलान होने के बाद गीता को मां से मिलाया गया है. बाद में डीएनए मिलान में भी मीना की ही बेटी होने की पुष्टि हुई. गीता पूजा-पाठ बहुत करती है और बेलपत्र भी चढ़ाती है, इसी के आधार पर महाराष्ट्र की लाइन मिली. गांव का पता लगाने में पूजा के दौरान उपयोग में आने वाले बेलपत्र का बड़ा अहम रोल रहा.
भोपाल रेल आईजी महेंद्र सिंह सिकरवार के अनुसार, समझौता एक्सप्रेस से गलती से यह बच्ची पाकिस्तान चली गई थी. उसने साइन लैंग्वेज से बड़ी मुश्किल से बताया कि उनका नाम कृष्ण भगवान से रिलेटेड है. काफी मेहनत के बाद पता चला कि उसका नाम राधा है, लेकिन लोग उसे गीता के नाम से जानते हैं.
भारत आने के बाद गीता अपने परिवार की तलाश में जुटी हुई थी. जिसके लिए उसने भगवान से भी मिन्नते मांगी थी. विदिशा स्थित हनुमान मंदिर में गीता ने अपने परिवार से मिलने की अर्जी लगाई थी. इसके बाद आखिरकार गीता को उसका बिछड़ा हुआ परिवार मिल गया है. गीता के परिवार में मां मीना पंडारे और शादीशुदा बहन पूजा बंसोड है. गीता का परिवार मार्च 2021 में मिल गया था, तब से वह परिवार के साथ रह रही है, लेकिन तब कोरोना के प्रकोप के चलते सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं हो सका था. वो महाराष्ट्र के परभणी स्थित नयागांव की निवासी है.