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16 June 2022
सेना भर्ती की योजना अग्निपथ का कई राज्यों में विरोध
ग्वालियर: भारतीय सेना में भर्ती के लिए आई सरकार की नई योजना अग्निपथ का कई राज्यों में भारी विरोध. योजना विरोध की आग ग्वालियर तक पहुंची. जबर्दस्त विरोध प्रदर्शन कर प्रदर्शनकारियों ने बिरलानगर रेलवे स्टेशन को तबाह कर दिया. वहां आगजनी की गई. कई ट्रेनों पर पत्थरबाजी हुई जिससे कई खिड़कियों के शीशे टूट गए. योजना के विरोध में तोड़-फोड़ और आगजनी की घटनाए. हिंदी क्षेत्र के कई राज्यों में जहां से भारी संख्या में युवा सेना में जाने की तैयारी करते हैं, वहां काफी उबाल देखा गया. उधर, केंद्र सरकार ने अग्निवीर और अग्निपथ को लेकर कई तरह के संदेहों पर स्थिति स्पष्ट की. सरकार ने युवाओं को समझाने के लिए उठ रहे सवालों के जवाब दिए.
सेना भर्ती की तैयारी कर रहे युवाओ की भीड़ ने तोड़-फोड़ और आगजनी की. इस कारण प्रशासन को सख्ती बरतनी पड़ी.
केद्र सरकार की अग्निपथ योजना को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेषाध्यक्ष कमलनाथ ने कहा, अब क्या ऐसी टेंपरेरी अप्रोच से भारत भूमि की रक्षा होगी और ऐसे भारत माता के सम्मान की सुरक्षा होगी? असली राष्ट्रभक्ति सामने आ रही है? यह अग्निपथ है या अग्निकुंड ?
अर्थी दो या वर्दी दो बुलंदशहर में Agnipath Scheme के खिलाफ युवाओं का गुस्सा फूटा. वेस्ट यूपी में विरोध, जाम, प्रदर्शन, आगजनी. बिहार में कई जगहों पर ट्रेनों को आग के हवाले कर दिया गया. हरियाणा के पलवल में स्थिति इतनी बिगड़ गई कि वहां इंटरनेट को बंद करना पड़ गया, वहीं फरीदाबाद में धारा 144 को लागू करना पड़ा. राजस्थान में कई जगहों पर युवाओं ने नारेबाजी की. उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में हाइवे जाम. रेलवे की दर्जनों ट्रेनें कैंसल, संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा.
जम्मू में भी कुछ युवाओं ने धरना-प्रदर्शन किया जिन्होंने थल सेना में भर्ती के मेडिकल और फिजिकल टेस्ट पिछले वर्ष ही पास कर लिया था और अब वो लिखित परीक्षा का इंतजार कर रहे थे. अग्निपथ स्कीम की घोषणा के कारण पूर्व में घोषित सेना भर्ती की परीक्षाएं कैंसल कर दी गई हैं.
सरकार ने अग्निपथ योजना की घोषणा भारतीय सेना के तीनों अंगों- थल, जल और वायु सेना में भर्तियों के लिए किया है. तमाम तरह की शंकाओं के कारण देश के विभिन्न राज्यों में युवा सड़कों और रेलवे ट्रैकों पर उतर गए हैं. युवा अग्निवीर के रूप में 4 वर्षों तक सैन्य सेवा के बाद के भविष्य को लेकर चिंतित है. हालंकि सरकार ने पूरे दो साल तक विशेषज्ञों से परमर्श कर योजना बनाई है.