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31 May 2022
केंद्र सरकार मंकीपॉक्स बीमारी रोकथाम के लिए गाइडलाइन
नई दिल्ली: दुनिया के कई देशों में बढ़ते मंकीपॉक्स के मामलों ने सरकार की टेंशन बढ़ाई. मंकीपॉक्स को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को राज्यों के लिए गाइडलाइन जारी की. अभी तक भारत में मंकी पॉक्स का कोई भी मामला सामने नहीं आया है. यह रोग 20 से ज्यादा देशों में फैला. कई देशों में यह बीमारी पैदा नहीं हुई है, बल्कि बाहर से आई है. मंकीपाक्स की रोकथाम और नियंत्रण के लिए टीकाकरण का आकलन करने के लिए अब स्टडी चल रही है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंकीपॉक्स रोग के प्रबंधन पर राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं. इसमें सरकार ने निगरानी, तेजी से पहचान और आइसोलेशन पर जोर दिया है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार, संक्रामक अवधि के दौरान किसी रोगी के साथ अंतिम संपर्क से 21 दिनों की अवधि के लिए संकेतों/लक्षणों की शुरुआत के लिए संपर्कों की दैनिक निगरानी की जानी चाहिए.
मंकीपाक्स चेचक की तरह होने वाला एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है. त्वचा पर लाल निशान और गांठें पड़ सकती हैं. साथ ही सफेद पस से भरे फफोले शरीर पर पड़ सकते है. यह पहली बार 1958 में अनुसंधान के लिए रखे गए बंदरों में खोजा गया था. चूंकि एक बार बंदर के बीच यह बीमारी फैली थी, इसलिए इसका नाम मंकीपाक्स रखा गया. मानव में मंकीपाक्स का पहला मामला 1970 में सामने आया था. इसमें चेचक रोग पैदा करने वाले वायरस भी शामिल हैं. अधिकतर बुखार और चकते जैसे लक्षण पाए जाते हैं. इसमें मृत्यु दर 1 से 10 प्रतिशत तक हो सकती है.