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11 May 2022
ओबीसी आरक्षण सियासत गरमाई, सीएम शिवराज पहुंचे दिल्ली
भोपाल: मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह ने अपना विदेश दौरा रद्द किया. मुख्यमंत्री चौहान बुधवार को अचानक दिल्ली पहुचे. ओबीसी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शिवराज सिंह ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अन्य विधि विशेषज्ञों से इस मुद्दे पर चर्चा की. गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा और नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह भी इस दौरान उनके साथ रहे. मध्य प्रदेश में सुप्रीम कोर्ट के ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव कराने के निर्देश पर सियासत गरमा गई है.
कानून विशेषज्ञों से मुलाकात के बाद सीएम ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट के आदेश में मोडिफिकेशन के लिए फिर से अदालत जाएंगे. उनकी सरकार ओबीसी समुदाय को उसका हक दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है. सरकार नए सिरे से तथ्य रखेंगी. यदि सुप्रीम कोर्ट कोई नया आदेश नहीं देता है तो फिर राज्य निर्वाचन आयोग बिना ओबीसी आरक्षण के लिए चुनाव कराएंगा.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बिना ओबीसी आरक्षण के ही मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव कराने के निर्देश दिए थे. कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को 15 दिन के अंदर चुनाव की अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया था. शीर्ष अदालत ने कहा था कि ट्रिपल टेस्ट के बिना ओबीसी आरक्षण का प्रावधान संभव नहीं है. मुख्यमंत्री ने कहा कि ओबीसी आरक्षण पर इतने हंगामे का कारण कांग्रेस का पाप है. बीजेपी सरकार ने पंचायत चुनाव की अधिसूचना भी जारी कर दी थी, लेकिन कांग्रेस अदालत में पहुंच गई. इसके चलते चुनाव की प्रक्रिया रुक गई.
OBC आरक्षण सियासत पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ बोले शिवराज सरकार को ओबीसी विरोधी चेहरा सामने आ गया, हम चुप नहीं बैठेंगे. नरोत्तम के निशाने पर कमलनाथ, बोले- OBC को गले लगाकर पीठ में छुरा घोंपते हैं. कमलनाथ ने आरक्षण को लेकर बीजेपी सरकार से कोई उम्मीद नहीं होने की बात कहते हुए निकाय चुनाव में 27 प्रतिशत टिकट ओबीसी को देने का वादा किया है. इस पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने भी 27 प्रतिशत से अधिक टिकट ओबीसी वर्ग के कार्यकर्ताओं को देने की बात कही है.
इधर, राज्य निर्वाचन आयोग ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रदेश में चुनाव कराने को लेकर बैठक की. इसमें चुनाव आयुक्त ने साफ कर दिया कि 24 मई से पहले दोनों चुनाव के लिए अधिसूचना जारी कर दी जाएगी और किसी भी स्थिति में जून में चुनाव करा दिए जाएंगे. दो साल से लंबित है पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव. निकायों का परिसीमन और आरक्षण पूरा हो चुका है. इसलिए इसमें कोई समस्या नहीं है.