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16 May 2022
सरकार गेहू निर्यात रोक, मंडियों में 2 दिन तक खरीदी बंद
नई दिल्ली: सरकार ने गेहूं निर्यात पर तत्काल रोक लगाई. सरकार के इस फैसले का राज्यों और विदेशों में विरोध हो रहा है. मंत्रालय ने 13 मई को जारी आदेश गेहूं की निर्यात नीति में संशोधन में उच्च प्रोटीन ड्यूरम सहित स्टेपल की सभी किस्मों को मुक्त श्रेणी से निकाल कर वर्जित श्रेणी में डाल दिया. आदेश में कहा भारत सरकार अपने देश के साथ-साथ पड़ोसी व अन्य विकासशील देशों की खाद्य सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है, जो गेहूं की वैश्विक कीमतों में आए अचानक बदलाव और गेहूं की अपर्याप्त आपूर्ति के कारण प्रभावित हो रहे हैं.
सरकार के इस प्रतिबन्ध से किसानों को दोहरी मार पड़ी है. दरअसल, सूखा पड़ने से दाने का आकार छोटा रहा, फसल कम हुई और अब निर्यात पर प्रतिबंध लगाया. मध्य प्रदेश में गेहूं निर्यात पर सरकार के प्रतिबंध का विरोध, मंडियों में दो दिनों तक खरीदी पर रोक का एलान. भारत के गेहूं निर्यात पर बैन से अमेरिका भी परेशान, बोला- भूखी मर जाएगी दुनिया, फैसले पर पुनर्विचार करें.
वैश्विक कीमतों में अचानक आए उछाल के कारण भारत ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है. महंगाई के बढ़ते दबाव के बीच केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी है. सरकार ने इससे पहले 2022-23 में एक करोड़ टन अनाज निर्यात करने का लक्ष्य रखा था.
उल्लेखनीय है कि यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब गेहूं की कीमतें एमएसपी(न्यूनतम समर्थन मूल्य) से बहुत अधिक हैं और किसान सरकार को गेहूं बेचने की बजाय व्यापारियों को बेच रहे हैं. वहीं, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश में मौसम की वजह से गेहूं की उपज को काफी नुकसान पहुंचा है.
हालांकि सरकार ने स्पष्ट किया है कि गेहूं निर्यात से संबंधित जो समझौते 13 मई 2022 से पहले हो चुके हैं, उन पर इस रोक का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, सरकार ने 2 मई तक 16 मिलियन टन(एमटी) गेहूं की खरीद की थी. यह पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत कम है जब 27 अप्रैल, 2021 तक 23 मिलियन टन की खरीद की गई थी. सरकार 2022-23 में 44.4 मीट्रिक टन गेहूं खरीदना चाहती है.
गेहूं पर लगी अचानक निर्यात रोक ऐसे वक़्त में लगाई गई है जब 12 मई को आए आंकड़ों के मुताबिक़ उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति अप्रैल में 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गई, ये दर 8 साल के सबसे उच्च स्तर पर है. वहीं, खुदरा खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 8.38 प्रतिशत हो गई है.