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05 October 2022
विजयादशमी रावण दहन 2022, बेतवा प्रतिमाओ का विसर्जन
गंजबासौदा: असत्य पर सत्य की जीत का पर्व दशहरा(Dussehra 2022) बुधवार को देशभर में धूमधाम के साथ मनाया गया. विजयादशमी पर शहर में नए बस स्टैंड पर हिन्दू उत्सव समिति ने सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया. स्कूलों के छात्र छात्राओं भाग लिया प्रस्तुतिया दी. गांधी चौक से राम दरबार की झांकी निकाली मंच पर स्वागत किया गया. 35 फिट के रावण का श्रीराम ने अग्निवाण से दहन किया. पुतला दहन होंते ही आतिशबाजी से आकाश प्रकाशित हो गया. पुतले में आग लगते ही जय श्रीराम के नारों से गूंजा मैदान. श्रेष्ठ झाँकियो को पुरुस्कृत किया गया. दशहरा के दिन महाराणा राजपूत समिति ने अस्त्र-शस्त्र की पूजा की वाहन रैली निकाली. दिन में दोपहर और शाम को हुई बारिश ने खलल डाला पुतले को रेन कोट पहनाया गया. प्रांगण में फिर से सूखे कारपेट बिछाए गए.
बेतवा पुल पर नवदुर्गा प्रतिमाओ का विसर्जन प्रारंभ किया गया. देवी विसर्जन और दशहरे के लिए नगर पालिका और पुलिस प्रशासन ने तैयारियां की. नए बस स्टैंड पर कार्यक्रम स्थल के आसपास की सभी अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए गए.
बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा हिंदू धर्म का खास पर्व है. विजयादशमी पर मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने रावण और देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध कर बुराई पर अच्छाई के प्रतीक का संदेश दिया था. रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतलों का दहन होता है. पूरे देश में जहाँ रावण का दहन किया जाता वही मध्य प्रदेश के कई जिलों में आज भी रावण की पूजा की जाती है. मंदसौर, विदिशा, राजगढ़ के अलावा भी कई इलाकों में रावण को विजयादशमी के मौके पर पूजा जाता है.
विदिशा जिले के एक गांव में विजयदशमी पर रावण की जय जयकार होती है. रावण ग्राम में ब्राह्मण जाति के उप वर्ग कान्यकुब्ज परिवारों का निवास है. यहां के लोग खुद को रावण का वंशज मानते हैं और इसलिए रावण की पूजा करते हैं. रावण ग्राम में परमार काल का एक मंदिर है. मंदिर में रावण की लेटी हुई प्रतिमा है. गांव वालों का कहना है कि प्रतिमा को जब भी खड़ा करने की कोशिश की गई तब यहां कोई न कोई अनहोनी हुई. रावण की पूजा करने का कारण लोग उसका वंशज होना बताते हैं. गांव वाले रावण को ज्ञानी, वेदों का ज्ञाता और शिव भक्त भी मानते हैं. इसलिए उसकी पूजा की जाती है. गंजबासौदा के पास स्थित गांव को पलीता के नाम से पहचाना जाता है. पलीता गांव में एक चबूतरे पर स्तंभ है जिसे मेघनाथ का प्रतीक माना जाता है और विजयादशमी के मौके पर यहां विशेष पूजा होती है.