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11 September 2022
75 साल बाद भाई-बहन मुलाक़ात, पाकिस्तान करतारपुर साहिब
अमृतसर: भारत-पाकिस्तान बंटवारे के दौरान जुदा हुए भाई-बहन 75 साल बाद मिले. दोनों की मुलाकात करतारपुर साहिब में हुई. आंखें खुशी के आंसूओं से सराबोर थीं. आसपास के लोगों की आंखें भी नम हो गई. भाई व्हीलचेयर पर, बहन कमर दर्द से परेशान थी. भारत के बंटवारे का दर्द लिए कई पीढ़ियां गुजर चुकी हैं. बंटवारे के आसपास जन्मे बच्चे अब उम्र के आखिरी पड़ाव पर पहुंच रहे हैं.
उम्र के आखिरी पड़ाव में उनको जब अपने बिछड़े हुए मिल रहे हैं तो उनकी खुशियां देखते बन रही हैं. उनके चेहरों की यह खुशी दुनिया की सबसे कीमती दौलत मिलने से भी न आए. करतारपुर साहिब बुधवार को ऐसी ही बेहद खास क्षणों का गवाह बना.
जालंधर के रहने वाले अमरजीत सिंह मुस्लिम थे, सिख परिवार में पले-बढ़े होने के नाते सिख धर्म को मानते हैं. अमरजीत अपनी एक और बहन के साथ भारत आ गए थे. जबकि उनके मां-पिता अपनी एक बेटी के साथ पाकिस्तान के फैसलाबाद में रह गई. बचपन की यादें को संजोए जब दोनों भाई-बहन मिले तो उनकी आंखों में अपनों से मिलने की खुशी के साथ ही पूरे परिवार द्वारा भोगी गई त्रासदी का गम भी झलक रहा था. दोनों ने काफी देर तक अपनी यादें साझा की.
बुधवार को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के करतारपुर में गुरुद्वारा दरबार साहिब में व्हीलचेयर से बंधे अमरजीत सिंह की अपनी बहन कुलसुम अख्तर से मुलाकात हुई तो दोनों भावनाओं में बह गए. दोनों एक दूसरे को गले लगाकर रोते रहे. बहन अपने बेटे शहजाद अहमद और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ अपने भाई से मिलने के लिए फैसलाबाद में अपने गृहनगर से आई थीं.
कुलसुम के माता-पिता 1947 में पाकिस्तान चले गए थे. भारत में ही कुलसुम के एक भाई व एक बहन रह गए थे. कुलसुम ने कहा कि वह पाकिस्तान में पैदा हुई थीं और अपनी मां से अपने खोए हुए भाई और बहन के बारे में सुनती थीं. कुलसुम ने कहा कि जब भी उसे अपने लापता बच्चों की याद आती थी तो उसकी मां रोती थी.
यह कोई पहली बार नहीं है कि कोई बिछड़ा परिवार यहां मिला है. बंटवारे के दौरान बिछड़ा एक और परिवार करतारपुर साहिब कॉरिडोर में मिल चुका है. मई में एक सिख परिवार में जन्मी एक महिला जिसे एक मुस्लिम दंपति ने गोद लिया था और पाला था, करतारपुर में भारत के अपने भाइयों से मिली थीं.