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03 September 2023

वन नेशन वन इलेक्शन, लॉ अधिकारी कोविंद मुलाकात

कानून अधिकारी कोविंद मुलाकात

नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी की NDA सरकार ने वन नेशन, वन इलेक्‍शन की दिशा में बढ़ने की तैयारी शुरू कर दी है. कानून मंत्रालय के अधिकारियों ने रामनाथ कोविंद से मुलाकात की. कानून मंत्रालय के सचिव नितेन चंद्रा और विधायी सचिव रीता वशिष्ठ ने पूर्व राष्ट्रपति और वन नेशन, वन इलेक्शन समिति प्रमुख रामनाथ कोविंद से मुलाकात की. वन नेशन, वन इलेक्शन को लेकर शनिवार को कमेटी कमिटी गठित की गई थी. अमित शाह-अधीर रंजन, गुलाम नबी आजाद, एन के सिंह समेत 8 लोग समिति में शामिल है. कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने समिति में शामिल होने से इनकार कर दिया है.

वन नेशन, वन इलेक्शन पर देशभर में नए सिरे से चर्चा शुरू हो गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 के स्वतंत्रता दिवस पर एक देश एक चुनाव का जिक्र किया था. सरकार ने संसद का विशेष सत्र 18 से 22 सितंबर तक बुलाया गया है. वन नेशन-वन इलेक्शन के लिए इस रिपोर्ट पर संसद के विशेष सत्र में चर्चा हो सकती है. एक देश एक चुनाव (One Nation One Election) को लेकर चुनाव आयोग (Election Commission) भी सक्रिय हो गया है. कोविंद लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के एक साथ चुनाव कराने की संभावना पर गौर करने के लिए बनाई गई उच्च स्तरीय समिति के अध्यक्ष हैं. यह कमेटी अविश्वास प्रस्ताव, दल-बदल कानून और लोकसभा की परिस्थितियों का विश्लेषण करेगी और उसके मुताबिक अपने सुझाव देगी. इसके अलावा समिति लोकसभा, विधानसभाओं, नगर निकायों और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने की संभावना पर विचार और सिफारिश करेगी.

केंद्र सरकार ने वन नेशन, वन इलेक्शन पर कमेटी ऐसे समय में बनाई है जब इस साल के आखिरी में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में चुनाव होने वाले हैं. वहीं अगले साल लोकसभा का चुनाव होने वाला है. वन नेशन, वन इलेक्शन पर उठाए गए कदमों को लेकर कांग्रेस मोदी सरकार पर हमलावर है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने पोस्ट में कहा, इंडिया भारत है और यह राज्यों का संघ है. एक देश, एक चुनाव का विचार भारतीय संघ और इसके सभी राज्यों पर हमला है.

वर्ष 1951 से 1967 के बीच लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हुए थे. 1951-52 में आम चुनाव और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हुए थे. इसके बाद 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ हुए. 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गईं. वर्ष 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई, इसकी वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा में ब्रेक आ गया.

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