Menu

News of Madhya Pradesh India

Hindi news portal of Bhopal. read regular fresh news of Bhopal, Indore, Gwalior, Jabalpur. whole state reporting with MP News Portal

19 August 2015

नागपंचमी पर खुले नागचंद्रेश्वर मंदिर पट

नागचंद्रेश्वर मंदिर पट

उज्जैन: नागपंचमी पर साल में सिर्फ एक बार खुलने वाले महाकाल मंदिर के शीर्ष पर स्थित भगवान नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट मंगलवार रात साढ़े 12 बजे खुले. अंदर पहुंच कर इस प्राचीन मंदिर में हनुमान जी, महाकाल समेत सभी देवी देवताओं की पूजा की गई. इसके बाद महानिर्वाणी अखाड़े के महंत प्रकाश पुरी ने प्रवेश द्वार के दाईं और विराजमान भगवान नागचंद्रेश्वर की प्रतिमा की प्रथम पूजा की. दर्शन के लिए रात 10 बजे से हजारों भक्त कतार में खड़े हो गए थे. रात करीब 1.30 बजे दर्शन का सिलसिला शुरू हुआ, जो आज 19 अगस्त की रात 12 बजे तक जारी रहेगा. नागचंद्रेश्वर मंदिर की सिद्ध प्रतिमा के दर्शन करने का अवसर साल में सिर्फ एक बार मिलता है. वो भी 24 घंटे के लिए ही. ऐसी मान्यता है कि नागपंचमी के दिन मंदिर में नागदेव साक्षात वास करते हैं. लिहाजा श्रद्धालुओं की भीड़ करीब 3 से 4 लाख तक होने का अनुमान है. इनमें वो भक्त भी हैं मनोकामना पूरी होने पर एक साल बाद आते हैं और वो भी हैं जिन्हें कोई मनोकामना मांगनी है. पिछले साल यहाँ दर्शन के लिए देशभर से करीब ढाई लाख श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा था. आम भक्तों के साथ खास भक्त भी नागपंचमी के अवसर पर दुर्लभ दर्शन के लिए मौजूद थे. नागचंद्रेश्वर का मंदिर महाकालेश्वर मंदिर के सबसे ऊपरी तल पर स्थित है.

प्राचीन कथानुसार भगवान रामचंद्र जी ने यहां आकर पूजा की थी, तब से यह उत्सव मनाया जाता है, इसलिए मान्यता है की आज नागपंचमी पर जो भी भगवान नागचंद्रेश्वर का दर्शन करता है उसकी मनोकामना पूरी होती है. नागचंद्रेश्वर के प्राचीन मंदिर में शेष नाग के आसन पर विराजमान पूरा शिव परिवार है. भगवान शिव-पार्वती, कार्तिकेय और गणेश जी की ये प्रतिमा पूरी दुनिया में इकलौती और विशेष है. सिर्फ यही एक प्रतिमा है जिसमें शिव-पार्वती शेष नाग के आसन पर विराजमान हैं. भक्त इस मनमोहक प्रतिमा के दर्शन पाकर खुद को धन्य महसूस करते हैं. मान्यता है कि नागपंचमी के मौके पर इस मंदिर के दर्शन से कालसर्प और कई समस्याओं से मुक्ति मिलती है.

मान्यता है कि नागपंचमी के दिन इस मंदिर में भगवान नागचंद्रेश्वर स्वंय विराजमान रहते हैं और भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है. आज शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन नाग देवता की उत्पत्ति हुई थी. उनका जन्म एक दफा साल में इस दिन मनाया जाता है और नाग देवता 24 घंटे यहां रहते हैं. कहते हैं कि जिस भक्त की मनोकामना पूरी हो जाती है. वो अगले साल यहां आकर दर्शन जरुर करता है.

सातवीं शताब्दी की यह दुर्लभ प्रतिमा नेपाल से लाकर महाकाल मंदिर के शीर्ष पर स्थापित की गई थी. भगवान यहां लिंग रूप में भी स्थापित हैं. परंपरा अनुसार सिर्फ नागपंचमी के दिन ही मंदिर के पट खोले जाते हैं. यही कारण है कि देश-दुनिया के भक्त इस दिन यहां दर्शन को आते हैं. एक प्रतिमा में नाग के फन पर शंकर पार्वती विराजमान हैं और इस प्रतिमा के दर्शन के बाद ही नागचंद्रेश्वर महादेव के दर्शन होते हैं.

मंदिर में प्रवेश करते ही दाईं ओर भगवान नागचंद्रेश्वर की मनमोहक प्रतिमा के दर्शन होते हैं. शेषनाग के आसन पर विराजित शिव-पार्वती की सुंदर प्रतिमा के दर्शन कर श्रद्धालु स्वयं को धन्य मानते हैं. ये प्रतिमा मराठाकालीन कला का उत्कृष्ट नमूना है. ये प्रतिमा शिव-शक्ति का साकार रूप है. ये मंदिर जमीन से लगभग 60 फीट की ऊंचाई पर स्थित हैं. इस मंदिर में पहुचने के लियें प्राचीन में इसका रास्ता संकरा और अंधेरा वाला था. पहले एक समय में एक ही व्यक्ति चढ़ सकता था. कई साल पहले मंदिर में दर्शनार्थियो की बढ़ती संख्या को देखते हुए मंदिर प्रबंध समिति और जिला प्रशासन ने लोहे की सीढियां का रास्ता अलग से बनाया. विश्व प्रसिद्ध भगवान महाकालेश्वर तीन खंडो में विभक्त है. सबसे नीचे भगवान महाकालेश्वर विराजमान है और इसके दूसरे खंड में ओकारेंश्वर एवं तीसरे खंड में नागचन्द्रेश्वर का मंदिर है. उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी दुर्लभ प्रतिमा नहीं है.

महाकाल में नागचंद्रेश्वर महादेव मंदिर के पट खुलने के बाद यहां 24 घंटे के दौरान तीन बार विशेष पूजा होगी. इसे त्रिकाल पूजा कहते हैं. प्रथम पूजा मंगलवार की रात 12 बजे पट खुलने के साथ अखाड़े की ओर से दूसरी सरकारी पूजा 19 अगस्त की दोपहर 12 बजे कलेक्टर द्वारा की जाती है. तीसरी व अंतिम पूजा महाकाल की संध्या आरती पश्चात मंदिर प्रबंध समिति की ओर से की जाती है.

उज्जैन के कलेक्टर और कई गणमान्य लोगों के साथ बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने भी सपरिवार भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन किए. प्रशासन का दावा है कि इस साल ऐसी व्यवस्था की गई है कि आम और वीआईपी दोनों ही प्रकार के दर्शनार्थियों को डेढ़ घंटे से दो घंटे में दर्शन कराया जा सके. जिला प्रशासन ने साल में एक दिन के लिए खुलने वाले नागचन्द्रेश्वर के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए.

Retrieved from(websites).

comments powered by Disqus