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29 December 2015

नाव पर नायरिका को लेकर आए यशवंत

नायरिका यशवंत शाही शादी

महेश्वर(खरगोन): युवराज यशवंतराव होल्कर मंगलवार को गोदरेज परिवार की बेटी नायरिका के साथ विवाह बंधन में बंधे. महेश्वर राजवाड़ा में पहली शादी 260 साल पहले अहिल्या बाई की महाराज खंडेराव होलकर से हुई थी. राजकुमार की शादी महेश्वर से सिर्फ इसलिए हो रही है क्योंकि उनकी इच्छा थी कि विवाह राजमाता अहिल्यादेवी की राजधानी महेश्वर में हो. रिचर्ड शिवाजीराव होलकर ने कहा कि महेश्वर से जुड़ी बचपन की यादों के साथ होल्कर राजवंश के समृद्ध इतिहास को देखते हुए समारोह यहां से तय हुआ था. 12वीं पीढ़ी के वंशज राजकुमार यशवंत की मुंबई के उद्योगपति गोदरेज परिवार की बेटी नायरिका से शादी हुई. विवाह महाराष्ट्रीयन पद्धति से संपन्न हुआ.

दूसरी शादी 2006 में शिवाजीराव होलकर की बड़ी बेटी सबरीना की गोवा के महाराज के साथ हुई. तीसरी शादी यशवंत राव और नायरिका की हो रही है. 1924 में युवराज यशवंतराव होलकर व संयोगिता देवी का विवाह समारोह नौ दिन चला था. यह इंदौर में 1 से 9 फरवरी तक रखा गया. आयोजन रूपरेखा 27 पेज में तैयार करके होलकर स्टेट इलेक्ट्रानिक प्रिंटिग प्रेस में छापी गई थी. प्रिंस रिचर्ड शिवाजीराव होलकर और शालिनीदेवी की शादी होलकर वंश राजगुरु पंडित विश्वनाथ नारायण राजोपाध्याय ने करवाई थी.

यशवंत के पिता रिचर्ड होल्कर और मां शालिनी 9 साल बाद सार्वजनिक रूप से इस मौके पर साथ में दिखे. पहले 22 फरवरी 2006 को यशवंत की बड़ी बहन सबरीना की शादी में रिचर्ड शिवाजीराव होलकर व शालीनी होलकर सार्वजनिक कार्यक्रमों में एकसाथ दिखे थे.

शादी समारोह में दोपहर 3.30 बजे राजबाड़ा से बना निकला. राज परिवार के लोग होलकर पगड़ी में और मेहमान लाल शाही पगड़ी में शामिल हुए. राजबाड़ा के मेन गेट से शहर में आधा किमी भ्रमण किया. यहां युवराज ने अभिवादन किया. अहिल्या घाट पर नर्मदा पूजन हुआ. 60 कारों के काफिले के साथ बारात अहिल्येश्वर मंदिर पहुंची. 5 बजे फूलों से सजी घाट की सीढ़ियों पर नायरिका के परिवार में पापा विजय कृष्ण व मां स्मिता कृष्ण ने युवराज यशवंत की आरती उतारी. वहां से वे 5.30 बजे नाचते-गाते राजबाड़ा स्थित मातोश्री अहिल्यादेवी के स्थापित अहिल्येश्वर मंदिर पहुंचे. मंडप में होलकर-गोदरेज परिवार के सदस्यों के साथ विजय-स्मिता कृष्ण गोदरेज व शिवाजीराव-शालीनी होलकर बैठे. यहां 5.45 बजे मुंबई के पंडित विजय राजोपाध्याय के सान्निध्य में पंडित विनायक शास्त्री, गोविंद चतुर्वेदी, संतोष पंड्या व नरेंद्र रावल की उपस्थिति में महाराष्ट्रीयन पद्धति से विवाह हुआ. विवाह बाद मातोश्री अहिल्यादेवी की गादी पर पहुंचकर नव दंपती ने आशीर्वाद लिया.

होलकर परिवार ने नगर वालों के लिए नजरबाग परिसर में शाही भोज रखा. इसमें करीब 2000 लोग शामिल हुए. भोजन के मेन्यू में विशुद्ध रूप से देशी स्वाद था. ग्रामीणों को पत्तल दोने में सब्जी-पूड़ी, गुलाब जामुन, चावल व श्रीखंड परोसा गया. यहां रिचर्ड शिवाजीराव होलकर, दूल्हा यशवंत व दुल्हन नायरिका ने घूम-घूमकर लोगों से बात की. शालीवाहन क्षेत्र में बुनकरों ने महेश्वरी साड़ी व वस्तुओं के स्टॉल लगाए. इन्हें पहनकर महिलाएं चप्पू की नाव से नर्मदा के दूसरी ओर महेश्वर राजबाड़ा के समारोह में शामिल हुईं.

बारात में कोई बड़ा बैंड, कोई आतिशबाजी, कोई दिखावा नहीं था. मगर शाही अंदाज यह था कि दो रॉल्स रायस गाड़ियां चल रही थीं. एक में दूल्हे बने यशवंत राव होलकर थे. इसी गाड़ी में उनके पिता रिचर्ड शिवाजीराव होलकर, उनकी बहन सबरीना राजे, सबरीना के बच्चे अहिल्या और अर्जुन थे. दूसरी खुली रॉल्स रायस में पीछे ज्योतिरादित्य सिंधिया, उनकी पत्नी प्रियदर्शनी राजे और उनके एक विदेशी मेहमान थे. बाकी मेहमान पीछे इनोवा गाड़ियों में सवार थे.

इंदौर के 'शो वर्ड' नामक थीम डिजाइनर ने शादी का माहौल डिजाइन किया. इनसे कहा गया था कि सब कुछ पुराना-पुराना सा रहने दो. रात को हजारों दीप जलाए गए, जिससे मंदिर और घाट का इलाका अलग ही आभा में नहाया.

विवाह समारोह में कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया, फिल्म निर्देशक मुजफ्फर अली और उदयपुर शाही घराने के अरविंद सिंह मेवाड़ के अलावा भारत सहित 7 देशों से करीब 200 मेहमान शामिल हुए. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शालीवाहन क्षेत्र के मंदिर देखे.

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