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17 December 2015

साहित्य अकादमी ने की पुरस्कारों की घोषणा

साहित्य अकादमी पुरस्कार घोषित

नई दिल्ली: साहित्य अकादमी के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई कार्यकारी मंडल की बैठक में 23 भारतीय भाषाओं के लिए पुरस्कार देने का निर्णय हुआ. हिन्दी कवि रामदरश मिश्र को उनकी कविता संग्रह 'आग की हंसी' के लिए पुरस्कार देने का निर्णय किया गया. हिन्दी में रामदरश मिश्र, उर्दू में शमीम तारिक और अंग्रेजी में साइरस मिस्त्री सहित 23 साहित्यकारों को साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजे जाने का ऐलान हुआ. इस साल छह कविता संग्रह, छह कहानी-संग्रह, चार उपन्यास, दो निबंध-संग्रह, दो नाटक, दो समालोचना और एक संस्मरण को पुरस्कार देने का फैसला किया गया है.

अकादमी के सचिव डॉ. के श्रीनिवास राव ने साहित्य अकादमी सभागार में आयोजित प्रेसवार्ता में लेखकों के नाम और उनकी कृतियों की घोषणा की जिन्हे अकादमी पुरस्कार के लिए चुना गया है. उन्होंने कहा कि बांग्ला भाषा में पुरस्कार के लिए घोषणा जल्द ही की जाएगी. घोषित किए गए साहित्यकारों को अगले साल 16 फरवरी को फिक्की सभागार में पुरस्कारों से नवाजा जाएगा. पुरस्कार के तौर पर एक लाख रुपये, ताम्रफलक, शॉल प्रदान किया जाता है. अकादमी हर साल 23 भाषाओं में साहित्य अकादमी पुरस्कार की घोषणा करती है. 23 भारतीय भाषाओं का प्रतिनिधित्‍व करने वाले विशिष्‍ट ज्‍यूरी मेंबर्स ने इन अवॉडर्स की सिफारिश की है.

अकादमी भाषा सम्मान साल 2014 के लिए श्रीकांत बाहुलकर को दिया जाएगा. तारिक को उनकी समालोचना 'तसव्वुफ और भक्ति' के लिए पुरस्कार दिया जाएगा. अंग्रेजी के उपन्यास 'क्रॉनिकल ऑफ ए कॉर्प्स बियरर' के लिए मिस्त्री को पुरस्कार से नवाजा जाएगा.

राजस्थानी और पंजाबी में मुध आचार्य 'आशावादी' और जसविन्दर सिंह को उनके उपन्यास क्रमश: 'गवाड़' और 'मात लोक' के लिए पुरस्कार दिया जाएगा, जबकि मैथिली में मनमोहन झा को उनकी कहानी 'खिस्सा', संस्कृत में रामशंकर अवस्थी को उनके कविता संग्रह 'वनदेवी' के लिए पुरस्कार से नवाजा जाएगा.

असमिया में कुल सेइकिया को 'आकाशेर छबि आर अनन्न गल्प'(कहानी), नेपाली में 'समयका प्रतिविम्बहरू'(कहानी), सिन्धी में माया राही को 'मंहगी मुर्क'(कहानी), तेलुगु में वोल्गा को 'विमुक्त'(कहानी), ओड़िया में विभूति पटनायक को 'महिषासुर मुहन'(कहानी) और मलयालम में के.आर. मीरा को 'अराचार'(उपन्यास) के लिए अकादमी पुरस्कार दिया जाएगा.

डोगरी भाषा में ध्यान सिंह को 'परछामें दी लो'(कविता), बोडो में ब्रजेन्द्र कुमार ब्रह्मा 'बायदि देंखे बायदि गाब'(कविता), कन्नड़ में केवी तिरूमलेश को 'अक्षय काव्य'(कविता) और मणिपुरी में क्षेत्री राजन को 'अहिड़ना येकशिल्लिबरा मड़'(कविता) के लिए पुरस्कार से नवाजा जाएगा.

गुजराती में रसिक शाह को 'अंते आरंभ'(खंड एक और दो)(निबंध), तमिल में ए. माधवन को 'इक्किया सुवडुकल'(निबंध), कश्मीरी में बशीर भद्रवाही को 'जमिस त कशीरी मंज कशीर नातिया अदबुक'(समालोचना) के लिए पुरस्कृत किया जाएगा.

वही संथाली में रबिलाल टुडू को 'पारसी खातिर'(नाटक), कोंकणी में उदय भेंब्रे को 'कर्ण पर्व'(नाटक) और मराठी में अरूण खोपकर को 'चलत-चित्रव्यूह'(संस्मरण) के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा.

रामदरश मिश्र मूलतः उत्तरप्रदेश के गोरखपुर जनपद के रहने वाले है. वर्तमान में वे दिल्ली में रहते हैं. इस पुरस्कार की घोषणा पर खुशी जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि लोग कह रहे हैं कि काफी देर बाद यह सम्मान आपकी कृति को मिला. लेकिन सम्मान मिलने से अच्छा लग रहा है. साहित्य अकादमी पुरस्कार वापस करने वाले साहित्यकारों का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने पुरस्कार लौटाया, उन्होंने पुरस्कार पाने के बाद भी यश पाया और लौटाने के बाद भी. लेकिन मेरा मानना है कि साहित्य अकादमी साहित्यकारों का घर है. हम जिस डाल पर बैठे हैं, उसको कैसे काट सकते हैं.

इन अवॉर्ड्स का ऐलान ऐसे वक्‍त में किया गया है जब 39 साहित्‍यकारों ने देश में कथित तौर पर बढ़ती असहिष्‍णुता और साहित्‍य अकादमी के बोर्ड सदस्य एम एम कलबुर्गी की हत्‍या के विरोध में अपने अवॉर्ड वापस कर दिए थे. हमें 35 लेखकों की ओर से चेक मिले हैं, लेकिन अकादमी ने उन चेकों को डिपॉजिट न करने का फैसला किया है. अकादमी ने लौटाए गए अवॉर्ड्स को वापस न लेने का फैसला किया है. के श्रीनिवासन राव सचिव साहित्य अकादमी की ओर से कहा गया है कि पुरस्कार विजेताओं को अकादमी अपने परिवार के सदस्यों की तरह मानती है और संस्था ने पुरस्कार वापस न लेने का फैसला किया है.

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