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14 July 2015

नासिक-त्र्यंबक कुंभ मेला प्रारंभ

नासिक-त्र्यंबक कुंभ मेला

नासिक(महाराष्ट्र): आस्था का पावन पर्व नासिक-त्र्यंबकेश्वर सिंहस्थ कुंभ मेला आज से प्रारंभ हुआ. त्र्यंबकेश्वर के कुशावर्त तीर्थ व नासिक के रामकुंड पर मंगलवार सुबह 6.16 बजे ध्वजारोहण के साथ ही इस वर्ष के सिंहस्थ कुंभ की शुरुआत हो गई. त्र्यंबकेश्वर में मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह और नासिक में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस उपस्थित थे. त्र्यंबकेश्वर में शैव संन्यासियों द्वारा किए गए ध्वजारोहण के समय नौसेना के हेलीकॉप्टर से गुलाब की पंखुड़ियां बरसाकर तीर्थ यात्रियों का स्वागत किया गया. ध्वजारोहण के बाद बड़ी संख्या में जुटे श्रद्धालुओं ने पवित्र गोदावरी नदी में स्नान किया. कुंभ के ध्वजारोहण की पूर्व संध्या पर नासिक में भव्य शोभायात्रा एवं गंगा आरती का आयोजन किया गया.

कुंभ मेला भारत में हर 3 साल के अंतराल पर चार जगहों पर लगता है, हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन और नासिक. इस बार यह नासिक में लगा है. इस तरह हर स्थान पर 12 वर्ष बाद इसका आयोजन होता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सिंह राशि में सूर्य के प्रवेश के साथ ही तीर्थ नगरी नासिक व त्र्यंबकेश्वर में सिंहस्थ कुंभ की शुरुआत हुई. प्रयाग, हरिद्वार एवं उज्जैन के विपरीत नासिक में कुंभ का आयोजन दो स्थानों पर किया जाता है. वैष्णव के अखाड़े नासिक में रहते हैं और शैव संन्यासी त्र्यंबकेश्वर में. यह मेला 25 सितंबर तक चलेगा.

रामकुंड में मंगलवार को श्री गंगा गोदावरी मंदिर का कपाट 12 वर्षों बाद खुला. मंदिर 11 अगस्त, 2016 तक खुला रहेगा. यह दुनिया का अपनी तरह का पहला ऐसा मंदिर है, जो 12 वर्षो पर कुंभ मेला चक्र के दौरान खुलता है. रामकुंड भी एक अति पवित्र जगह है, जहां 14 वर्षो के वनवास के दौरान भगवान राम, सीता तथा लक्ष्मण ने कुछ साल बिताए थे. यहां से आठ किलोमीटर दूर अंजनेरी की पहाडिय़ों को हनुमानजी का जन्म स्थल माना जाता है.

कुंभ के शाही स्नान की चार तिथियां निर्धारित हैं. 29 अगस्त एवं 13 सितंबर के शाही स्नान नासिक स्थित गोदावरी के रामघाट व त्र्यंबकेश्वर के कुशावर्त कुंड में एक साथ होंगे. जबकि 18 सितंबर को वैष्णव संन्यासियों का शाही स्नान रामघाट में होगा. 25 सितंबर को शैव संन्यासियों का शाही स्नान कुशावर्त कुंड में होगा. शाही स्नानों के दिन यह संख्या आठ से दस लाख तक पहुंच सकती है. लगभग ढाई माह चलनेवाले कुंभ के दौरान करीब 1 से 4 करोड़ श्रद्धालु नासिक पहुंचने की उम्मीद है.

आंध्र प्रदेश में आज मंगलवार को हुई भगदड़ की घटना के बाद प्रशासन और सतर्क हो गया है. 2003 के कुंभ में अंतिम शाही स्नान के दौरान भी भगदड़ में 37 लोगों की मौत हो गई थी. मेला मे सुव्यवस्था के लिये नदी के घाटों के इर्द-गिर्द 348 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. पूरे नासिक शहर को त्रिस्तरीय रिंग रोड से घेरा गया है. बाहर से आनेवाले श्रद्धालुओं के लिए 250 एकड़ में पार्किंग की व्यवस्था की गई है. पार्किंग स्थल से घाट तक ले जाने के लिए राज्य परिवहन की 3000 बसें तैनात रहेंगी. साफ-सफाई की दृष्टि से 3000 अतिरिक्त सफाईकर्मियों की भी व्यवस्था की है. भगवान् शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में एक त्र्यंबकेश्वर में स्थित है. जो नासिक से 38 किलोमीटर दूरी पर है और पवित्र गोदावरी नदी का उद्गम भी यहीं से हुआ है. हर 12वें साल सिंहस्थ कुंभ मेला नासिक और त्र्यंबकेश्वर में आयोजित होता है. यह मान्यता है कि नाशिक उन चार स्थानों में से एक है. जहां अमृत कलश से अमृत की कुछ बूंदें गिरी थीं. यहां महाशिवरात्रि पर्व भी बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है.

कुंभ मेले के बारे मे प्राचीन मान्यता है की जब देवता एवं दानवो के सागर मंथन के पश्चात अन्य अनमोल रत्नों के साथ अमृत कुंभ भी निकाला था. इस कुंभ को स्वर्ग मे सुरक्षा के साथ पहुंचाने की जिम्मेदारी इन्द्रपुत्र 'जयंत' पर सोपी गयी थी. इस शुभ काम मे सुर्य, चंद्र, शनि एवं बृहस्पती(गुरू) बडा योगदान दिया था. अमृत कुंभ स्वर्ग तक ले जाते समय देवताओं को राक्षसों का चार बार सामना करना पडा. इन चार हमलों मे देवताओं ने अमृत कुंभ पृथ्वी पर रखा गया उन चार स्थानों पर प्रति बारह साल बाद कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है. यह चार स्थान हरिद्वार, प्रयाग, त्र्यंबकेश्वर, और उज्जैन है. कुंभ मेले का जिन राशियों मे बृहस्पती होने पर कुंभ रखा जाता है उन राशि में गुरू आने पर उस स्थान पर कुंभ पर्व का आयोजन होता है. यह ध्यान रखने बाली बात है की हरिद्वार, प्रयाग, त्र्यंबकेश्वर, उज्जैन स्थानो के अलावा अन्य किसी भी स्थानपर कुंभ मेला नही लगता.

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