Menu

News of Madhya Pradesh India

Hindi news portal of Bhopal. read regular fresh news of Bhopal, Indore, Gwalior, Jabalpur. whole state reporting with MP News Portal

18 May 2015

हैवानियत की शिकार अरुणा पंचतत्व में विलीन

अरुणा पंचतत्व मे विलीन

मुंबई: अरुणा शानबाग नर्स का सोमवार सुबह लगभग 10 बजे निधन हो गया. वे अंतहीन पीड़ा से मुक्त हो पंचतत्व में विलीन हुई. केईएम अस्पताल के डीन डॉक्टर अविनाश सुपे ने भोईवाड़ा शमशान घाट में अरुणा को मुखाग्नि दी. इस दौरान अरुणा की देखभाल करने वाली नर्सें गमगीन थीं उनकी आंखों से लगातार आंसू निकल रहे थे. साथ ही अरुणा शानबाग अमर रहे के नारे लग रहे थे. अंतिम संस्कार के वक्त अरुणा के परिजन भी मौजूद थे. मुंबई स्थित केईएम हॉस्पिटल में नर्स अरुणा शानबाग का शव अंतिम दर्शन के लिए रखा गया. उनकी मौत के बाद उनके शव को लेकर विवाद हो गया था. अस्पताल के डीन अविनाश सूपे द्वारा उनके शव को परिजनों को सौंपने के एलान के बाद अस्पताल की नर्सें विरोध करने लगीं. इस फैसले को वापस लेने के लिए उन्होंने डीन के खिलाफ नारेबाजी भी की. नर्सों का कहना था कि जब उसे परिजनों के जरुरत थी जब कोई नहीं आया अब क्यों सुध ली है. इस दौरान सभी नर्सें अस्पताल प्रशासन के फैसले से नाराज होकर अस्पताल से बाहर निकल गई. नर्सों के विरोध के चलते अस्पताल प्रशासन की तरफ से ही अंतिम संस्कार की प्रक्रिया संपन्न की गई.

67 वर्षीय अरुणा पिछले 42 साल से जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रही थी. अरुणा एक जून को 68 साल की होने वाली थीं. केईएम अस्‍पताल में उनका बर्थडे मनाने की तैयारी चल रही थी. पिछले वर्ष अरुणा को सप्ताह भर आइसीयू में रखने के बाद नगर निगम संचालित केइएम अस्पताल के नवीनीकृत कमरे में स्थानांतरित किया गया था. पिछले चार दशक से अरूणा अस्पताल के वार्ड नंबर चार से लगे एक छोटे से कक्ष में थी. केइएम अस्पताल परेल में स्थित है. अस्पताल का स्टाफ ही उनकी देखभाल कर रहा था. पिछले सप्‍ताह मंगलवार को उनकी तबीयत ज्‍यादा खराब हो गई थी. सांस की तकलीफ बढ़ जाने के बाद उन्‍हें आईसीयू में ले जाया गया था. उसे एंटीबायोटिक दवाएं दी गईं लेकिन वे वहां से लौट नहीं सकीं. केइएम अस्पताल में 42 साल से नर्सें उनकी सेवा कर रही थीं. केईएम अस्पताल के डीन डॉ अविनाश सुपे ने बताया कि हाल ही में उसे निमोनिया होने का पता चला था और उसे जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया था. जांच में पता चला कि अरूणा को फेफड़ों में संक्रमण था. उसे नलियों की मदद से भोजन दिया जाता था.

नौकरी की तत्परता की वजह से हजार सपने संजोये युवा नर्स रहीं अरुणा शानबाग ने 42 साल कोमा में गुजारा और उसी अवस्था में बुजुर्ग हुईं. वे कर्नाटक के हल्दीपुर की रहने वाली थीं. उन्होंने 1973 में जूनियर नर्स के रूप में किंग एडवर्ड मेमोरियल हॉस्पीटल में नर्स की नौकरी ज्वाइन की थी. दरअसल, बचपन से ही उनके अंदर रोगियों की सेवा की गहरी लालसा थी. पर, नर्स बनने के बाद वे अपने इस लालसा को ज्यादा दिनों तक साकार नहीं कर पायीं. अरुणा अस्पताल में डॉग रिसर्च लेबोरेटरी में काम करती थीं. अरुणा जिस अस्पताल में सेवा करने के लिए आयीं थीं, वहीं वह रोगी बन गयीं.

अरुणा पर 27 नवंबर 1973 को अस्पताल के एक सफाईकर्मी ने रेप की कोशिश मे नाकाम होने पर बेरहमी से हमला किया था. सोहनलाल केईएम अस्पताल की डॉग रिसर्च लेबोरेटरी में काम करता था. कुत्तों के लिए आने वाला मांस वह खुद खा जाया करता था. नर्स अरुणा उसे मना किया करती थीं. इसी से सोहनलाल की चिढ़ बढ़ने लगी. उसने अरुणा पर बुरी नजर रखनी शुरू कर दी. तब 23 साल की अरुणा 27 नवम्बर, 1973 को डयूटी खत्म कर कपड़े बदलने के लिए चेंजिंग रूम में पहुंचीं. सोहन वहां पहले से घात लगाकर बैठा था. उसने अरुणा को दबोच लिया. कुत्ते के गले की चेन ही करुणा के गले पर कस दी. चेन से अरुणा के दिमाग तक खून पहुंचाने वाली नसें फट गईं. उसकी आंखों की रोशनी चली गई, शरीर को लकवा मार गया, अरुणा बोल भी नहीं पा रही थीं. सोहनलाल ने सबूत मिटाने के लिए गला घोंट कर अरुणा की जान लेने की कोशिश भी की. जब उसे लगा कि वो मर चुकी है तो छोड़ कर फरार हो गया. लेकिन अरुणा मरीं नहीं. बेहद प्रताड़ित किए जाने की वजह से वह कोमा में चली गईं.

अरुणा को जिंदा लाश बनाने वाले सोहनलाल को गिरफ्तार कर लिया गया था. अरुणा हमले के बाद ही अपाहिज हो गई थीं. जांच में पुलिस को कुछ सुराग हाथ लगे और सोहनलाल गिरफ्तार कर लिया गया. अरुणा पुलिस को ये भी नहीं बता सकीं कि उसके साथ किस कदर ज्‍यादती की गई थी. सोहनलाल पर कान की बाली लूटने और हत्या के प्रयास का केस चला. उसे सात साल की सजा दी गई. सूत्रों के अनुसार सोहनलाल अपना नाम बदल कर किसी अस्पताल में आज भी काम कर रहा है.

पेशे से जर्नलिस्ट और लेखिका पिंकी विरानी ने अरुणा की इस दास्तान पर किताब लिखी. उन्होंने सोहनलाल को सजा दिलवाने की भी कोशिश की, लेकिन नाकाम रहीं. अरुणा की तकलीफ को देखते हुए पिंकी विरानी ने उनके लिए सुप्रीम कोर्ट में इच्छा मृत्यु की मांग की लेकिन, कोर्ट ने उसे अस्वीकार कर दिया. मार्च 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने अरुणा को यूथेनेसिया का इस्तेमाल कर(जहरीला इंजेक्‍शन देकर) मौत देने की अपील खारिज कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फ़ैसले में कहा कि पिंकी विरानी का इस मामले से कुछ लेना-देना नहीं है, क्‍योंकि अरुणा की देखरेख केईएम अस्पताल कर रहा है.

Retrieved from (websites).

comments powered by Disqus