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9 October 2015

मशहूर संगीतकार रवींद्र जैन का निधन

संगीतकार रवींद्र जैन निधन

मुंबई: बॉलीवुड के मशहूर सिंगर, गीतकार और म्यूजिक कम्पोजर रवींद्र जैन का आज शुक्रवार सुबह निधन हो गया. वे लंबे समय से बीमार थे. जैन ने मुंबई के लीलावती अस्‍पताल में सुबह चार बजकर 10 मिनट पर अंतिम सांस ली. वो अस्पताल में मौत से जंग लड़ रहे थे. शरीर के विभिन्न अंगों ने काम करना बंद कर दिया था. जैन को किडनी में दिक्कत होने की वजह से यूरिन इंफेक्शन था. इसी कारण कुछ समय से उनकी तबीयत खराब थी. बुधवार सुबह उन्हें मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां शुक्रवार को 71 साल के इस महान संगीतकार की इलाज के दौरान मृत्यु हो गई. उन्होंने 70 से 80 के दशक में भारतीय सिनेमा में एक से बढ़ कर एक सुपरहिट म्यूजिक दिया. आंखो में रौशनी नहीं थी फिर भी रवींद्र जैन ने अपनी गायकी के हुनर से संगीत इंडस्ट्री को रौशन किया.

डॉक्टरों के अनुसार उनको लगातार वेंटिलेटर पर रखा गया था. लेकिन वो उनको बचा पाने में कामयाब नहीं हो सके. जैन को किडनी की भी कई समस्याएं थी. मंगलवार को नागपुर में उनको लकवा का जबर्दस्त आघात आया, जिसके बाद उन्हें नागपुर के वोकहार्ड अस्पताल से बांद्रा के लीलावती अस्पताल लाया गया था.

श्री जैन को राजकपूर ने बड़ा ब्रेक दिया था जिनके लिए उन्होंने 'राम तेरी गंगा मैली', 'दो जासूस' और 'हिना' जैसी फिल्मों में सुपरहिट यादगार संगीत दिया. उन्हें 1985 में फिल्म 'राम तेरी गंगा मैली हो गई' के लिए बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला, सुपरहिट गाना 'अंखियों के झरोखों से' के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ संगीतकार और गीतकार के लिए नॉमिनेट किया गया. जैन को हिंदी फिल्मों में लाने का भी श्रेय मशहूर दक्षिण भारतीय गायक के जे यशुदास को दिया जाता है. दोनों ने मिलकर 'ओ गोरिया रे', 'बेटी तेरी रात की', 'गोरी तेरा गांव' और 'जब दीप जले आना' जैसे मधुर गीत दिए.

रामानंद सागर के प्रसिद्ध टेलीविजन धारावाहिक 'रामायण' में इन्हीं ने संगीत दिया. साल 2015 में रवींद्र जैन को पद्मश्री अवॉर्ड से भी नवाजा गया.

जैन ने अपने करियर की शुरुआत 1970 में की थी. चोर मचाए शोर(1974), गीत गाता चल(1975), चितचोर(1976) और अंखियों के झरोखों में(1978) जैसी हिट फिल्मों का संगीत दिया. टीवी सीरियल 'रामायण', 'श्रीकृष्णा', 'लव कुश', 'जय गंगा मैया', 'साईँ बाबा' और 'धरती का वीर योद्धा पृथ्वीराज चौहान' सहित कई पॉपुलर शोज में म्यूजिक और आवाज दी. राजश्री प्रोडक्शन की 'नदिया के पार', 'विवाह' और 'एक विवाह ऐसा भी' जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में भी उन्होंने म्यूजिक दिया था.

रवींद्र जैन का जन्म 28 फरवरी, 1944 को यूपी के अलीगढ़ में हुआ था. वे जन्म से ही देख नहीं पाते थे. उनके परिवार में पत्नी दिव्या और पुत्र आयुष हैं. उनके पिता पंडित इन्द्रमणि जैन संस्कृत के जाने-माने स्कॉलर और आयुर्वेदाचार्य थे. पंडित इंद्रमणि और उनकी पत्नी किरण जैन के परिवार में जन्मे जैन अपने सात भाइयों एवं एक बहन में तीसरी संतान थे. उन्होंने बहुत कम उम्र में ही समीप के मंदिरों में भजन और काव्य गायन शुरु किया था.

कहा जाता है रवींद्र जैन बहुत मेहनती थे वह कोई काम अधूरा नहीं छोड़ते थे, फिल्म सौदागर के म्यूजिक रिकॉर्डिंग के दौरान उनके पिता का देहान्त हो गया लेकिन वह काम पूरा किए बिना घर नहीं गए.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैन के निधन पर यह कहते हुए शोक प्रकट किया कि उन्हें उनके बहुमुखी संगीत एवं हिम्मत नहीं हारने के जज्बे के लिए स्मरण किया जाएगा.

ऋषि कपूर ने कहा, रवींद्र जैन(दद्दू) प्यारे संगीत के लिए आपको धन्यवाद. आपने मेरे लिए फिल्म हिना की'.

अरुण गोविल ने कहा वो सिर्फ़ संगीत ही नहीं साहित्य के क्षेत्र में भी कर्मयोगी रहे, उन्होंने अपने संगीत में भारतीय संगीत को बढ़ाया यहां तक कि लोक धुनों को आगे बढ़ाया और व्यक्तिगत रूप से वो हंसमुख थे और उनका जाना एक बड़ी क्षति है.

कैलाश खेर ने कहा वो मेरे लिए परिवार के समान थे, जब मैंने गीत गाना शुरू किया, उससे पहले से ही मेरी उनसे पहचान थी और जब उन्होंने मेरा गाना 'अल्लाह के बंदे' सुना था तो उन्हें यकीन नहीं हुआ था कि मैं वही कैलाश खेर हूं जो उनके घर में रहता हूं, मैंने 10-12 गाने उनके साथ गाए और दुआ करता हूं कि भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे.

नेत्रहीन गायक जैन ने मोहम्मद रफी के साथ बतौर संगीतकार अपना फिल्म करियर शुरु किया लेकिन वह गाना कभी रिलीज नहीं हुआ.

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