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16 September 2015

चपरासी भर्ती आवेदक पीएचडी डिग्रीधारी

चपरासी भर्ती आवेदक पीएचडी

लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य सचिवालय में चपरासी पद की 368 नियुक्तियों के लिए 23 लाख लोगों ने आवेदन किया है. 23 लाख आवेदनकर्ताओं में से 2 लाख से भी ज्यादा उम्मीदवार ऐसे हैं जिनके पास बी.टेक, बीएससी, एमएससी और ए.कॉम की डिग्री है. इनमें इंजीनियर और एमबीए भी हैं, 255 आवेदक ऐसे हैं जिनके पास पीएचडी की डिग्री है. पांचवी पास तो सिर्फ 53000 लोग ही हैं. हर पद के लिए 6 हजार से अधिक आवेदन मिले हैं. ऊप्र की कुल आवादी करीब 21.5 करोड़ है. इसका मतलब ये हुआ कि हर 93वें शख्स ने चपरासी के पोस्ट के लिए आवेदन किया है. यही नहीं 30 दिन की मियाद से हिसाब लगाइए तो हर मिनट 53 युवा फॉर्म भरकर चपरासी की छोटी सी नौकरी पा लेने होड़ में शामिल हो गए. यह आंकड़े सचिवालय प्रशासन द्वारा जारी किए गए हैं. पद के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 5वीं क्लास है, ऐसे में परीक्षा में पूछे जाने वाले सवाल उसी स्तर के मुताबिक होने चाहिए. उच्च शिक्षा प्राप्त आवेदकों के लिए इस तरह के प्रश्न बेहद आसान साबित होंगे. इनकी भर्ती इंटरव्यू से होनी है जिसमें चार साल से ज्यादा वक्त लगेगा. अगर 23 लाख लोगों के इंटरव्यू किए जाएं तो इसमें 10 इंटरव्यू बोर्ड बनाने पर भी 4 साल से ज्यादा वक्त लगेगा.

प्रदेश सरकार की तरफ से हाल ही में सचिवालय में 5200-20200 रुपये के वेतनमान में चपरासियों के 368 पदों पर नियुक्तियों के लिए आवेदन मांगे गये थे. आयु सीमा 18 से 40 वर्ष और आवेदन करने की अन्तिम तिथि 14 सितम्बर तय थी. विधान सभा सचिवालय में 10 साल के बाद चपरासियों की पोस्ट के इश्तेहार निकले. इस बार ऑनलाइन आवेदन करने की व्यवस्था की गई. चपरासी के पद के लिए दो ही योग्यताएं मांगी गई थीं कि आवेदक को पांचवी पास होना चाहिए और उसे साइकिल चलाना आना चाहिए. लड़कियों और विकलांगों के लिए साइकिल चलाना आना जरूरी नहीं है. सोमवार देर रात तक आवेदन करने वालों की संख्या 23.80 लाख पहुंच गई. 10 अगस्त को उत्तर प्रदेश के सचिवालय की ओर ये विज्ञापन दिया गया था ये सरकारी नौकरी का विज्ञापन था और पद था अनुसेवक और फर्राश का यानी आसान भाषा में जिसे आप चपरासी कहते हैं. आवेदन करने के लिए महज तीस दिन का समय दिया गया था यानी 12 अगस्त से 11 सितंबर 2015 के बीच. नौ सितंबर तक 18.50 लाख आवेदन आए थे, लेकिन सचिवालय प्रशासन ने आवेदन करने की समय सीमा बढ़ा कर 14 सितंबर तक कर दिया था.

सचिव प्रभात मित्तल ने बताया कि आवेदकों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा. उन्होंने कहा, 'जब हमें नियुक्तियों के लिए आवेदन मिले तो हम इतनी बड़ी तादाद देखकर चौंक गए'. नियुक्ति के लिए इंटरव्यू की व्यवस्था है. इतनी बड़ी संख्या में आवेदकों को देखकर लगता है कि इस पूरी प्रक्रिया को पूरा होने में कुछ साल लग जाएंगे. शुरुआत में तो इंटरव्यू के द्वारा चयन करना तय किया गया था. 'अब इतनी बड़ी संख्या में आवेदकों का इंटरव्यू लेना असंभव है. इसलिए हमने नियम में बदलाव किया है. अब हम चयन के लिए एक लिखित परीक्षा लेंगे'.

इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में बी टेक आलोक का कहना है, 'बिना नौकरी के भटकने से बेहतर है चपरासी की नौकरी करना'. मंदी के समय कितने दिन बेरोजगार रहा जा सकता है. सोचा कि खाली रहने से बेहतर है कि चपरासी का ही काम कर लें. स्नातक डिग्री धारी रतन यादव का कहना है, 'चाकरी का काम करने में कोई दिक्कत नहीं है'. रेखा वर्मा नाम की एक अन्य आवेदिका ने कहा कि किसी और पर निर्भर होकर जीने से बेहतर है कि अधिकारियों को पानी पिलाया जाए. अगर आप बेरोजगार हैं तो आप रिश्तेदारों और दोस्तों से मदद लेते हैं, लेकिन हम अपने शुभचिंतकों की दया पर कब तक जी सकते हैं. बड़ी तादाद में चपरासी बनने के दावेदारों में बी टेक किए हुए नौजवान हैं.

बहरहाल अगर पीएचडी किए हुए यह 255 लोग चपरासी बन गए तो शायद सचिवालय में बाबू उनसे कुछ यूं काम करा रहे होंगे…'डॉक्टर साहब ! मेज़ कुर्सी ठीक से साफ़ कीजिए। '…या फिर 'डॉक्टर साहब ! पानी पिलाइए। ' वगैरह.

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