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15 September 2015

पहलवान नरसिंह ने क्वालीफाई किया ओलंपिक कोटा

नरसिंह क्वालीफाई ओलंपिक टिकिट

नई दिल्ली: भारतीय पहलवान नरसिंह पंचम यादव ने विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप की पुरूष 74 किग्रा फ्रीस्टाइल मुकाबले में ब्रॉन्ज मेडल जीता और तीसरे स्थान पर रहे. इस जीत के साथ नरसिंह इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में पदक जीतने वाले और 2016 रियो ओलंपिक के लिए कोटा हासिल करने वाले एकमात्र पहलवान बने. प्रत्येक वर्ग में शीर्ष छह पर रहने वाले पहलवान ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करेंगे. इस जीत से पहलवान नरसिंह यादव ने एक बार फिर देश के माथे पर जीत का तिलक किया है. वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप का आयोजन लास वेगास अमेरिका में हुआ.

नरसिंह ने शानदार प्रदर्शन करते हुए इजरायल के हानोक रचामिन को 14-2 से हराने के बाद तुर्की के सोनेर देमिरतास को 4-3 से हराया. इसके बाद क्यूबा के लिवान लोपेज अजकाय को 16-5 से हराकर उन्होंने सेमीफाइनल में जगह बनाई. हालांकि सेमीफाइनल में नरसिंह को मंगोलिया के उनुर्बात पुरेवजाव के खिलाफ शिकस्त का सामना करना पड़ा. उन्होंने हालांकि कांस्य पदक के प्लेऑफ में फ्रांस के जेलिमखान खादजिएव को 12-8 से हराकर पोडियम पर जगह बनाई.

देश के लिए दो ओलिंपिक पदक जीतने वाले पहलवान सुशील भी इसी वर्ग में खेलते हैं. वह चोटिल होने के कारण विश्व कुश्ती के ट्रायल में नहीं उतरे थे और इसी कारण नरसिंह लास वेगास गए थे. हर देश से एक पहलवान ही एक भार वर्ग के लिए क्वालीफाई कर सकता है.

नरसिंह ने कहा कि मैं विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीत सकता था, लेकिन आखिरी दस सेकंड में मेरा पैर बाहर चला गया. उत्तर प्रदेश में जन्में और वर्तमान में महाराष्ट्र पुलिस में डीएसपी नरसिंह ने कहा कि सरकार और कुश्ती संघ से बहुत मदद मिल रही है. निजी कंपनियों को भी और ज्यादा खिलाड़ियों की मदद करनी चाहिए. रियो डि जेनेरियो में होने वाले ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाले भारतीय पहलवान नरसिंह ने स्वदेश लौटने पर कहा कि उनका ध्यान सुशील कुमार पर नहीं, बल्कि अगले ओलिंपिक पर है. रियो मेरे लिए महत्वपूर्ण है और बाकी सब भारतीय कुश्ती संघ और पदाधिकारियों पर निर्भर करता है. मैं सिर्फ तैयारियों में जुटना चाहता हूं और ओलिंपिक में पदक जीतना चाहता हूं.

26 वर्षीय नरसिंह यादव उत्तरप्रदेश में चोलापुर ब्लॉक के नीमा गांव के रहने वाले हैं. उनकी इस कामयाबी पर पूरे काशी में जश्न मनाया गया. नरसिंह ने साल 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स में इसी कैटेगरी में गोल्ड मेडल जीता था. उनके पिता पंचम यादव और मां भूलना देवी ने कई मुश्किलों का सामना करते हुए बेटे को इस मुकाम तक पहुंचाया है. पिता पंचम यादव के मुताबिक, बच्चों की परवरिश के लिए सालों पहले वो महाराष्ट्र चले गए थे. उनके पिता साइकिल से 40 किमी तक मलाड, कांदिवली, अंधेरी और गोरेगांव जैसी जगहों पर दूध बेचने जाते थे. वे छोटी सी कोठरी में गुजारा करते थे. वो और उनकी पत्नी बच्चों को खाना खिलाकर कभी-कभी खुद भूखे सो जाते थे. 15 रुपए घर का किराया चुकाने में भी मुश्किल आती थी. बारिश के दिनों में घर तालाब बन जाता था. दोनों बेटों ने फटे कपडे पहनकर ही कुश्ती का अभ्यास किया. नरसिंह को अरहर की दाल बेहद पंसद थी, लेकिन वो महीने में सिर्फ एक बार ही उसे खिला पाते थे.

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