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28 April 2016

इसरो ने लांच किया देशी जीपीएस नाविक

भारतीय जीपीएस नाविक लांच

श्रीहरिकोटा: भारत ने गुरुवार को बड़ी कामयाबी हासिल की. इसरो ने आईआरएनएसएस का आखिरी और 7वा सैटेलाइट अंतरिक्ष में स्थापित कर दिया. भारत ने पहली बार अपना खुद का जीपीएस सिस्टम स्थापित करने में सफलता प्राप्त की है. इसरो ने श्रीहरिकोटा से दोपहर बारह बजे पीएसएलवी-सी 33 से आईआरएनएसएस-1जी को सफलतापूर्वक लॉन्च किया. यह मिशन मंगलवार को शुरु किया गया था. इस जीपीएस सैटेलाइट के लांच होने के बाद आपको अब गूगल के जीपीएस सिस्टम पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. आरपीएस के 6 सैटेलाइट पहले ही लांच किए जा चुके थे. इस सिस्टम से जुलाई के बाद देश के चारों तरफ 1500 किमी तक की सटीक जानकारी मिलनी शुरू हो जाएगी. भोपाल में इसके लिए तीन स्टेशन बनाए गए हैं. इस सर्विस को दुनिया नाविक नाम से जानेगी.

कारगिल वॉर के दौरान अमेरिका ने भारत को मदद देने से मना कर दिया था. इसके बाद इसरो ने तय किया था कि वह अपना रीजनल पोजिशनिंग सिस्टम बनाएगा. अब सेना को अपनी नेविगेशन, पोजिशनिंग और जियो-मैपिंग की फैसिलिटी मिलेगी. इसरो साइंटिस्ट अपने इस मिशन को पूरा करने 17 साल से कार्यरत थे.

भारत 1973 से ही अमेरिकी जीपीएस पर निर्भर रहा है. भारत अपना जीपीएस रखने वाला दुनिया का 5वां देश बन गया है.

प्रक्षेपित हुए उपग्रह आईआरएनएसएस-1 जी का वजन 1,425 किग्रा है. यह 20 मिनट में 497.8 किमी ऊंचाई पर स्थापित हो गया. इसके बनाने में 1420 करोड़ रु. लागत आई. जीपीएस प्रणाली को पूरी तरह से भारतीय तकनीक से विकसित करने के लिए वैज्ञानिकों ने सात सैटेलाइट को एक नक्षत्र की तरह पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करने का फैसला किया. स्वदेशी जीपीएस सिस्टम के लिए भारतीय वैज्ञानिकों ने पहला सैटेलाइट जुलाई 2013 में छोड़ा था. अब तक भारत की ओर से 6 क्षेत्रीय नौवहन उपग्रहों(आईआरएनएसएस-1 ए,1बी,1सी, आईडी, 1 ए, 1जी) का प्रक्षेपण किया जा चुका है. बताया जा रहा है कि हर सैटेलाइट की कीमत करीब 150 करोड़ रुपए के करीब है. वहीं पीएसएलवी-एक्सएल प्रक्षेपण यान की लागत 130 करोड़ रुपए है. इस तरह सातों प्रक्षेपण यानों की कुल लागत 910 करोड़ रुपए बताई जा रही है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सैटेलाइट के सफलतापूर्वक लांच होने के बाद वैज्ञानिकों का दिल से शुक्रिया अदा किया और देश को और नये आविष्कारो के जरिए आगे बढ़ाने के लिए काम करते रहने को कहा. पीएम मोदी के संदेश के मुख्य अंश मेक इन इंडिया और मेड इन इंडिया के सपने को भारतीय वैज्ञानिकों ने साकार कर दिखाया है, मैं उनका बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं.

नाविक का इस्तेमाल ट्रेन में सफर करते समय, कार से सफर करते समय आसानी से किया जा सकेगा. नाविक हमें रास्ता दिखायेगा, नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम जो कि नेविगेशन विद इंडियन कॉस्टिलेशन(NAVIC) के नाम से जाना जाएगा. नाविक जीपीएस सिस्टम प्राकृतिक आपदा के समय मदद पहुंचाने के लिए मदद करेगा.

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