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10 May 2016

सोमनाथ में चढ़ा 100 किलो स्वर्ण

सोमनाथ 100 किलो सोना

अहमदाबाद: गुजरात के सोमनाथ महादेव मंदिर का स्वर्णिम गौरव लौटा. सोमनाथ मंदिर में भक्त ने सौ किलो सोना दान किया. सोने का उपयोग पहले चरण में गर्भगृह, थालू, नाग, दीवारें स्वर्ण जड़ित की गईं. दूसरे चरण में ध्वज दंड, डमरू, त्रिशूल, शिखर आदि को सोने से जड़ा गया है. तीसरे चरण में बाकी दीवारें, स्तंभ सोने से जड़े गए. महादेव मंदिर के गर्भ गृह को सोना जड़ित करने का काम अक्षय तृतिया के दिन पूर्ण हो गया है. मुंबई के हीरा व्यापारी विसनदास होलाराम लखी परिवार ने अपना संकल्प तीन साल में पूरा किया.

सोमनाथ न्यास के सचिव प्रवीनभाई के. लहरी ने बताया कि विसनदास परिवार ने तीन साल पहले लिया गया संकल्प पूरा किया. परिवार ने पहले दो चरणों में 60 किलो और अब बाकी का 40 किलो सोना दान किया है. हीरा व्यापारी दिलीपभाई लाखी ने आठ मई को मंदिर में पूजा के बाद 40 किलो सोना दान किया. यह परिवार पिछले तीन वर्षों में मंदिर को 100 किलोग्राम से ज्यादा सोना दान कर चुका है.

सोमनाथ मंदिर के बारे में प्राचीन मान्यता है की सदियों पहले सोमनाथ मंदिर पूरे सोने का बना था मगर कई बार इस मंदिर को लुटेरों ने लूटा. बाद में यह मंदिर मात्र पत्थर का रह गया. अब सदियों बाद देश का पहला ज्योतिर्लिंग सोमनाथ मंदिर पुनः स्वर्णिम हो गया. सोमनाथ मंदिर को शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से पहला माना जाता है. कहते हैं कि इसका निर्माण स्वयं चंद्रदेव सोमराज ने किया था. इसका उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है. महमूद ग़ज़नवी ने सन 1025 में सोमनाथ मंदिर पर हमला किया, उसकी सम्पत्ति लूटी और उसे नष्ट कर दिया. सन 1297 में जब दिल्ली सल्तनत ने गुजरात पर क़ब्ज़ा किया तो इसे फिर गिराया गया.

सोमनाथ मंदिर का गुजरात के राजा भीम और मालवा के राजा भोज ने इसका पुनर्निर्माण कराया. सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण और विनाश का सिलसिला जारी रहा. इस समय जो मंदिर खड़ा है उसे भारत के गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने बनवाया और पहली दिसंबर 1995 को भारत के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया. मंदिर की भव्यता का पता इसी बात से चलता है कि मंदिर का गेट भी सोने का बना हुआ है.

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