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12 October 2017

कोर्ट का फैसला नाबालिग पत्नी के साथ सेक्स है रेप

नाबालिग पत्नी साथ सेक्स रेप

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला 15 से 18 साल की पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाना बलात्कार हो सकता है. अगर नाबालिग पत्नी इसकी शिकायत एक साल के अंदर करती है तो. कोर्ट ने IPC की धारा 375 के अपवाद को अंसवैधानिक करार दिया. सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी की उस धारा (IPC375(2)) को असंवैधानिक बताया है, जिसके मुताबिक 15 से 18 साल की बीवी से उसका पति संबंध बनाता है तो उसे दुष्कर्म नहीं माना जाएगा. जबकि बाल विवाह कानून के मुताबिक शादी के लिए महिला की उम्र 18 साल होनी चाहिए. कोर्ट ने बुधवार को नाबालिग पत्‍नी से संबंध को दुष्कर्म की श्रेणी से छूट देने वाली आईपीसी की धारा 375 के अपवाद(2) को खारिज कर दिया है.

कोर्ट ने इस मामले को POCSO के साथ जोड़ा है. पोक्सो का मतलब है प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस.

कोर्ट ने कहा कि शारीरिक संबंधों के लिए उम्र 18 साल से कम करना असंवैधानिक है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सती प्रथा भी सदियों से चली आ रही थी लेकिन उसे भी खत्म किया गया, जरूरी नहीं, जो प्रथा सदियों से चली आ रही हो वो सही हो.

सुनवाई में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि बाल विवाह सामाजिक सच्चाई है और इस पर कानून बनाना संसद का काम है. कोर्ट इसमें दखल नहीं दे सकता. बाल विवाह करने पर कठोर सजा का प्रावधान है.

अदालत उस संगठन की याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें कहा गया कि 15 से 18 वर्ष के बीच शादी करने वाली महिलाओं को किसी तरह का संरक्षण नहीं है. सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका 'इंडिपेन्डेंट थॉट' नाम की संस्था ने दायर की थी. ये संस्था बच्चों के अधिकारों से जुड़े क़ानून पर काम करती है. 2013 में ये मामला कोर्ट पहुंचा था. देश के तमाम राज्यों में बाल विवाह विसंगतियों के बीच बच्ची से जुड़े सभी क़ानून में एकरूपता लाने के लिए 'इंडिपेन्डेंट थॉट' ने ये याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी.

हालांकि अभी तक ये स्पष्ट नहीं है कि इस मामले में शिकायत का अधिकार किसको होगा. देश के कई इलाकों में आज भी लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में हो जाती है. देश में आर्थ‍िक रूप से पिछड़े समाज में आज भी बाल विवाह के मामले देखने को मिलते हैं. जबकि हिंदू मैरिज ऐक्ट में 18 साल से कम उम्र की शादी अमान्य नहीं.

मौजूदा कानून यदि शादीशुदा महिला जिसकी उम्र 15 साल से ज्यादा है और उसके साथ उसके पति द्वारा अगर जबरन सेक्स किया जाता है तो पति के खिलाफ रेप का केस नहीं बनेगा. देश में विवाह की उम्र महिलाओं के लिए 18 और पुरुषों के लिए 21 साल रखी गई है. इससे कम उम्र में हुई शादी को जुर्म माना गया है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कानून राज्य मंत्री पीपी चौधरी का कहना है कि यह फैसला स्वागत योग्य है. इससे चाइल्ड मैरिज पर अंकुश लगेगा. इस माममे में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाले वकील विक्रम श्रीवास्तव ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह फैसला लड़कियों को सुरक्षा देगा.

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