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18 October 2018

443 वर्ष बाद इलाहाबाद का नाम किया गया प्रयागराज

इलाहाबाद का नाम हुआ प्रयागराज

लखनऊ: इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किया गया. मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इलाहाबाद का नाम बदलकर फिर से प्रयागराज किया गया. 1858 में अंग्रेजों के शासन के दौरान शहर का नाम इलाहाबाद का रखा गया. आजादी की लड़ाई का केंद्र इलाहाबाद ही था. इस ऐतिहासिक बदलाव की शुरुआत भारत रत्न मदन मोहन मालवीय ने 1939 में छेड़ी थी, जिसे अनेक प्रयासों के बाद अब जाकर सफलता मिली. 1996 के बाद इलाहाबाद का नाम बदलने की मुहिम फिर से शुरू हुई.

हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक इस धरती पर सृष्टि रचनाकर्ता ब्रम्हा ने पहला यज्ञ किया था. जिसके प्रथम के प्र और यज्ञ के याग से नाम प्रयाग पड़ा. इलाहाबाद का शास्त्रों में प्राचीन नाम प्रयाग ही मिलता है. ऋगवेद, महाभारत और रामायण में प्रयागराज का उल्लेख मिलता है.

नाम परिवर्तित करने के इस फैसले का तीर्थ पुरोहितों व प्रयागवाल सभा ने स्वागत किया.

अकबरनामा और आईने अकबरी व अन्य मुगलकालीन ऐतिहासिक पुस्तकों से ज्ञात होता है कि, अकबर ने सन 1575 के आस-पास प्रयागराज में किले की नींव रखीं. उसने यहां नया नगर बसाया जिसका नाम उसने 'इलाहाबास' नाम दिया था जिसका अर्थ है अल्लाह का घर, जो कि बदलते-बदलते इलाहाबाद हो गया था. उसके पहले तक इसे प्रयागराज के ही नाम से जाना जाता था.

हिमालय से निकलने वाली दो नदियां(गंगा, यमुना और अद्रश्य सरस्वती) का संगम इलाहाबाद में होता है और यह तीर्थों का राजा है.

बीजेपी सरकार के आने बाद सबसे पहले मुगलसराय जंक्शन का नाम बदल कर पं. दिनदयाल उपाध्याय के नाम पर दिनदयाल नगर जंक्शन कर दिया गया था.

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