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02 August 2019

उन्नाव रेप से जुड़े मामले दिल्ली ट्रांसफर, विधायक निलंबित

उन्नाव केस दिल्ली ट्रांसफर

लखनऊ: उन्नाव दुष्कर्म कांड में सुप्रीम कोर्ट ने पांचों मुकदमों की सुनवाई 45 दिनों में पूरा करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने पीड़ित की चिट्ठी और उसकी मां की स्थानांतरण याचिका पर सुनवाई करते हुए मामले से जुड़े सभी पांचों मुकदमे लखनऊ की सीबीआई अदालत से दिल्ली की अदालत स्थानांतरित कर दिए हैं. तीसहजारी कोर्ट में जिला जज धर्मेश शर्मा की अदालत में होंगी सुनवाई. कोर्ट ने पीड़िता की मां को 25 लाख रुपये का चेक दिया. पीड़िता और उसके परिवार को सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स(सीआरपीएफ) सुरक्षा देने का भी आदेश दिया. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, दीपक गुप्ता और अनिरुद्ध बोस की पीठ ने गुरुवार को मामले पर सुनवाई के बाद ये आदेश दिए थे.

सीबीआई की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल ने उन्‍नाव के एक्‍सीडेंट केस में 7 से 15 दिनों में जांच पूरी करने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में बदलाव करते हुए एक्‍सीडेंट वाले केस को 15 दिनों तक दिल्‍ली ट्रांसफर करने पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया से पीड़िता की पहचान छुपाने को कहा है.

पीडिता को दिल्ली एयरलिफ्ट करने पर फिलहाल रोक लगा दी गई. पीड़िता का इलाज लखनऊ में होगा. पीडिता के चाचा को जान का खतरा देखते हुए दिल्‍ली तिहाड़ जेल शिफ्ट किया जाएगा. वकील का परिवार भी उन्‍हें अभी दिल्‍ली शिफ्ट नहीं करना चाहता है.

उन्नाव दुष्कर्म कांड में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर सहित कई अभियुक्त हैं. भाजपा ने आरोपी विधायक कुलदीप सेंगर को पार्टी से निकाला उसकी सुरक्षा हटाई गई. विधायक के हथियारो के लाइसेंस निरस्त किए गए.

गौरतलब है कि गत रविवार को सड़क दुर्घटना में उन्नाव दुष्कर्म कांड की पीड़िता के दो रिश्तेदारों मौसी और चाची की मौत हो गई थी, जबकि पीड़िता और वकील गंभीर रूप से घायल हो गए थे. दुर्घटना से पहले पीड़िता और उसके परिवार ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को चिट्ठी भेजकर अभियुक्तों पर धमकी देने और सुलह के लिए दबाव डालने की शिकायत की थी. इसी चिट्ठी पर संज्ञान लेते हुए शीर्ष कोर्ट ने गुरुवार को विस्तृत आदेश जारी किए. रायबरेली सड़क दुर्घटना में घायल पीड़िता के साथ वकील अभी भी वेंटीलेटर पर है. हालत नाजुक है. पीड़िता और उसका वकील अस्पताल में जिंदगी-मौत के बीच झूल रहे हैं.

पीड़िता के चाचा को अभियुक्तों के साथ मार-पिटाई के 2001 के विवाद में हत्या के प्रयास के आरोप में सजा हुई है. उसकी पत्नी की भी रविवार को हुई दुर्घटना में मौत हो गई है और उसके अंतिम संस्कार के लिए वह फिलहाल पैरोल पर है. सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पहला मामला उन्नाव में नाबालिग लड़की से बलात्कार का है. दूसरा मामला उन्नाव रेप पीड़िता के पिता के खिलाफ शस्त्र कानून से संबंधित है, जिसे फर्ज़ी पाया गया है. तीसरा मामला रेप पीड़िता की मां ने दर्ज कराया है कि उसके पति को पुलिस हिरासत में मार डाला गया.

उन्नाव दुष्कर्म कांड(Unnao Case) ने एक बार फिर देश में कानून और न्यायपालिका की दयनीय स्थिति को उजागर कर दिया है. जून 2017 में यूपी के एक गांव से किशोरी का अपहरण हुआ. 10 दिन बाद पुलिस उसे खोज सकी. उसने पुलिस को बताया कि विधायक कुलदीप सिंह सेंगर सहित कुछ लोगों ने उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया है. बावजूद पुलिस ने विधायक का साथ देते हुए चार्जशीट में उसे बचा लिया. 19 साल पुराने ये केस आरोपी विधायक के भाई अतुल सिंह सेंगर की तरफ से दर्ज कराया गया था. अतुल भी उन्नाव दुष्कर्म केस में मुख्य आरोपी है. दुष्कर्म मामले के मुख्य गवाह यूनुस की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई.

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