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08 September 2022

सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का पीएम मोदी द्वारा अनावरण

नेताजी बोस प्रतिमा अनावरण

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडिया गेट पर गुरुवार शाम स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण किया. सेंट्रल विस्टा पर कर्तव्य पथ(राजपथ) देशवासियों के लिए समर्पित किया. छतरी के नीचे प्रतिमा स्‍थापित की गई है. नेताजी सुभाष चंद्र की यह प्रतिमा 28 फीट ऊंची है. इंडिया गेट पर नेताजी बोस की प्रतिमा उसी स्थान पर स्थापित की गई है, जहां इस साल की शुरुआत में पराक्रम दिवस(23 जनवरी) के अवसर पर नेताजी की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया गया था. प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की गई. अनावरण आजाद हिंद फौज के पारंपरिक गीत कदम, कदम बढ़ाए जा की धुन के साथ किया गया. देश के कोने-कोने से आए हुए 500 नर्तकों द्वारा एक सांस्‍कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया.

नेताजी बोस प्रतिमा इंडिया गेट अनावरण

मुख्य मूर्तिकार अरुण योगीराज की टीम द्वारा तैयार की गई 28 फीट लंबी, 65 मीट्रिक टन वजनी प्रतिमा, 26 हज़ार घंटों की मेहनत के बाद तैयार की गई है. ग्रेनाइट के इस अखंड पत्‍थर को तेलंगाना के खम्‍मम से 1665 किलोमीटर दूर नयी दिल्‍ली तक लाने के लिए 100 फुट लंबा 140 पहियों वाला एक ट्रक विशेष तौर पर तैयार किया गया था. यह प्रतिमा काले ग्रेनाइट से बनी है.

श्रमजीवियो से कहा कि वह 26 जनवरी गणतंत्र दिवस परेड के लिए सेंट्रल विस्टा के पुनर्विकास परियोजना पर काम करने वाले सभी लोगों को आमंत्रित करेंगे. नेताजी की प्रतिमा के अनावरण के बाद पीएम मोदी ने नए सेंट्रल विस्टा एवेन्यू पर प्रदर्शनी देखी. एक दिन पहले ही राजपथ का नाम बदला गया था. बता दें नई दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन(NDMC) ने राजपथ का नाम बदलकर 'कर्तव्य पथ' करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. राजपथ राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक का रास्ता है, जिसकी लंबाई 3.20 किलोमीटर है. राजपथ पर ही हर साल गणतंत्र दिवस पर परेड निकलती है.

पीएम ने कहा देशवासियों को गुलामी की एक और पहचान से मुक्ति की बधाई. आज भारत के आदर्श अपने हैं, आयाम अपने हैं. आज भारत के संकल्प अपने हैं, लक्ष्य अपने हैं. आज हमारे पथ अपने हैं, प्रतीक अपने हैं. अगर राजपथ का अस्तित्व समाप्त होकर कर्तव्यपथ बना है, आज अगर जॉर्ज पंचम की मूर्ति के निशान को हटाकर नेताजी की मूर्ति लगी है, तो यह गुलामी की मानसिकता के परित्याग का पहला उदाहरण नहीं है. नेताजी सुभाष, अखंड भारत के पहले प्रधान थे जिन्होंने 1947 से भी पहले अंडमान को आजाद कराकर तिरंगा फहराया था. आजादी के बाद हमारे महानायक सुभाष चंद्र बोस को भुला दिया गया था.

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